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हो गई मेरी गवाही तो ‘मथुरा विवाद’ की भी दिशा बदल जाएगी – रामभद्राचार्य

• विजेथुआ महोत्सव में पहुंचे तुलसीपीठाधीश्वर प्रख्यात संत
* बांग्लादेश, बंगाल व बहराइच पर जताई चिंता
•रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग

विक्रम सिंह/सुल्तानपुर
देश के प्रख्यात संत व प्रकांड विद्वान तुलसी पीठाधीश्वर श्रीरामभद्राचार्य शुक्रवार को सुल्तानपुर की रामायणकालीन कालनेमि वधस्थली विजेथुआ महाबीरन पहुंचे। जहां हनुमान जन्मोत्सव पर शुरू हो रहे छह दिवसीय विजेथुआ महोत्सव में वे प्रवास करेंगे और श्रद्धालुओं को रामकथा रस पान कराएंगे। महोत्सव के श्रीगणेश पर मीडिया से संवाद के दौरान उन्होंने धर्म-संस्कृति-देश और समाज की स्थिति पर खुलकर संवाद किया और केंद्र सरकार से श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग की। ‘हिंदुत्व’ पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को संदर्भित किया। कहा कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि हिंदुत्व भारतीयता का पर्यायवाची है। बंगलादेश में हिंदू उत्पीड़न व बहराइच दंगे पर बोले, ‘जो अत्याचार मुस्लिम धर्म के लोग कर रहे हैं, वो सहन नहीं। अभी दुर्गा पूजा में देखा कितना बड़ा अनर्थ हो गया ! तुलसीपीठाधीश्वर ने मोदी सरकार के समक्ष तीन मांग रखी है। पहली, हिंदू मंदिरों में सरकार का अधिग्रहण हटाया जाए। दूसरी, हिन्दी राष्ट्रभाषा हो। तीसरी, श्रीरामचरित मानस राष्ट्रग्रंथ हो। चौथी, हमारे भारत में पाक अधिग्रहित कश्मीर विलीन जाए। इसके अलावा श्रीकृष्णजन्मभूमि मथुरा विवाद को लेकर भी वे बेबाक दिखे। कहा कि, ‘जैसे मेरी गवाही ने रामजन्म भूमि की दिशा बदली थी, वैसे ही इसकी भी दिशा बदलेगी। कोर्ट में अगर मैं गवाही देने जाऊंगा।’ देश में असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं पर वे बोले, हिंदू जैसा सहनशील कोई हो नहीं सकता। हमारी सहनशीलता की अग्निपरीक्षा हो रही है। बंगलादेश में क्या हुआ? अन्य देशों में क्या हुआ? यहां तक कि हमारे बंगाल में क्या हो रहा है? हम सहन करते रहे लेकिन अब सहन नहीं करेंगे। सनातन धर्म को लेकर आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वास्तव में सनातन ही वैदिक धर्म है।

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