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वीकेंड वार्ता : ‘वायनाडिंते प्रियांकरी’

राज ईश्वरी

प्रियंका गांधी वाड्रा हमेशा से ही न सिर्फ कांग्रेसियों की नजर में बल्कि कांग्रेसियों से इतर लोगों की नजर में भी नेहरू गांधी परिवार के प्रतिनिधित्व के तौर पर अगाड़ी रही हैं। बीते लोकसभा चुनाव में उनकी सक्रियता ने उनकी स्थिति को राजनीति में और पुख्ता किया है। प्रियंका के जरिए वायनाड कांग्रेस के लिए एक नया अध्याय शुरू करेगा, यह कहने में दो राय नहीं है।
प्रियंका गांधी वाड्रा का वायनाड से उम्मीदवार बनना कांग्रेस पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। सक्रिय राजनीतिक जुड़ाव शुरू करने के पांच साल बाद चुनावी मैदान में उतरते हुए, १३ नवंबर को उपचुनाव लड़ने के लिए प्रियंका का नामांकन संसद के भीतर गांधी परिवार के प्रभाव को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
कांग्रेस में प्रियंका का सफर पर्दे के पीछे से समर्थन से लेकर अग्रिम पंक्ति के नेतृत्व तक विकसित हुआ है, जो उनकी रणनीतिक सूझबूझ और जनता से जुड़ने की क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने शुरू में पार्टी के संगठनात्मक आधार को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया, खासकर उन क्षेत्रों में जहां यह कमजोर हो गया था, जैसे उत्तर प्रदेश। हिमाचल प्रदेश में उनके सफल अभियान और २०२४ के लोकसभा चुनावों में उनकी भूमिका के चलते, जहां कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या में सुधार किया, वहीं एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को भी मजबूत किया है। उनका वायनाड अभियान इसी दृष्टिकोण का लाभ उठाता है, क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्हें एक परिचित गांधी व्यक्तित्व के रूप में पेश करता है। उन्हें ‘वायनाडिंते प्रियांकरी’ यानी वायनाड की प्रिय घोषित करने वाले पोस्टर बढ़ते स्थानीय समर्थन को दर्शाते हैं। उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में राहुल के काम को जारी रखने का वादा किया है।
यह उपचुनाव वायनाड से कहीं ज्यादा प्रियंका के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके नेतृत्व में कांग्रेस की नई दिशा का परीक्षण करेगा। अगर वे जीतती हैं, तो उनकी भूमिका पारिवारिक व्यक्ति से प्रभावशाली राजनीतिक नेता में बदल सकती है, जिससे भाजपा की नीतियों का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस की स्थिति मजबूत होगी। वायनाड में उनके विरोधियों में भाजपा शामिल है, जो केरल में अपना आधार बढ़ाने का लक्ष्य बना रही है। बात सीपीआई (एम) की तो उसका वामपंथी झुकाव वाले राज्य में गहरा आधार है। प्रियंका राजनीति में अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करने और देश में फैल रही वैचारिक चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं। वायनाड में लगे हुए ‘वायनाडिंते प्रियांकरी’ के पोस्टर इस बाबत बहुत कुछ कह जाते हैं।

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