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भगदड़ में घायल हो रहे यात्री… बुलेट ट्रेन की मस्ती में हैं रेल मंत्री!.. संजय राऊत का तीखा प्रहार

सामना संवाददाता / मुंबई

नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से देश में करीब २८ बड़े रेल हादसे हो चुके हैं, जिसमें सैकड़ों बेगुनाहों की जानें जा चुकी हैं। वे बुलेट ट्रेन, हाई स्पीड ट्रेन पर चर्चा कर रहे हैं। हालांकि, मुंबई में उपनगरीय सेवाओं में किए जाने वाले सुधारों पर कोई चर्चा करने को तैयार नहीं है। ज्यादातर यात्री मुंबई और मुंबई उपनगरों में हैं। इसके बावजूद मुंबई उपनगरीय रेल सेवा की समस्याएं कई वर्षों से जस की तस बनी हुई हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कल भारी भीड़ में भगदड़ मच गई और कई यात्री घायल हो गए। ऐसे हादसे के बाद रेल मंत्री बुलेट ट्रेन की मस्ती में हैं। उनके पैर जमीन पर नहीं हैं। वे बुलेट ट्रेन के बारे में सोच रहे हैं, जबकि मुंबई में हमारे यात्री भगदड़ में मर रहे हैं। इस तरह का जोरदार हमला करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने और रेल सेवा को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने अब तक क्या किया है। साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है।
सांसद संजय राऊत ने कहा कि राजनीति में व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होनी चाहिए, लेकिन इसकी शुरुआत भाजपा ने की है। राजनीति में विचारों की लड़ाई विचारों से लड़ी जानी चाहिए, यह महाराष्ट्र की परंपरा और संस्कृति है। राजनीति में भूमिकाएं, विकास कार्यों की चर्चा हो, व्यक्तिगत गिले-शिकवे, दुश्मनी राजनीति में न हो, यही महाराष्ट्र की संस्कृति है। यह संस्कार यशवंतराव चव्हाण से लेकर हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे, शरद पवार तक जारी रहा। हालांकि, दिल्ली में नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राज्य में देवेंद्र फडणवीस के हाथों में सत्ता जाने के बाद पारिवारिक स्तर पर दुश्मनी की राजनीति शुरू हो गई। संजय राऊत ने कहा कि राजनीतिक दुश्मनी को राजनीति में ही रखना चाहिए, यह विचारों की लड़ाई है। इसमें व्यक्तिगत दुश्मनी न लाएं, किसी का परिवार बर्बाद न करें। इस तरह की हमारी राय है। हालांकि, भाजपा दुर्भाग्य से यह सब कर रही है। संजय राऊत ने कहा कि फडणवीस हमारे राजनीतिक दुश्मन हैं। हम उन्हें व्यक्तिगत दुश्मन के रूप में नहीं देखते हैं।
जनता सब समझ चुकी है
संजय राऊत ने कहा कि दलित, पीड़ित और वंचित समाज का नेतृत्व करने वाले नेता दुर्भाग्य से केवल अपने बारे में सोचते हैं। लेकिन समाज को क्या मिला है इसके बारे में कोई नहीं सोचता है। सत्ताधारियों के गुलाम बनकर उन्होंने धारणा को बांधे रखा। भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान की रक्षा के नाम पर उन्होंने समाज को लड़ाए रखा। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि रामदास आठवले को कुछ नहीं मिला। वे कई वर्षों से मंत्री हैं। वे एक अच्छे बंगले में रहते हैं। हालांकि, समाज पीड़ित है। संजय राऊत ने यह विश्वास भी जताया कि अब जनता सब समझ चुकी है। जनता अब महाविकास आघाड़ी के साथ है।

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