अमिताभ श्रीवास्तव
यह एक चर्चा का विषय है कि महेंद्र सिंह धोनी इतने अमीर वैâसे हैं? कहां से उनकी संपत्ति में बढ़ोतरी हो रही है? उन पर लक्ष्मीजी क्यों खुश हैं? आखिर वो १२७ मिलियन डॉलर के मालिक वैâसे बने?
मैदान से दूर होने के बावजूद मैदान के खिलाड़ियों से अमीर होते जा रहे धोनी की आमदनी का रहस्य आखिर क्या है? फिलवक्त यह भी सवाल गहरा रहा है कि एमएस धोनी आईपीएल के १८वें सीजन में शिरकत करेंगे या नहीं? हालांकि, खेल हलकों में चल रही चर्चाओं के मुताबिक वह आगामी सीजन में ही नहीं, बल्कि अगले तीन चक्रों तक शिरकत करने के लिए तैयार हैं। यदि ऐसा है तो धोनी की कमाई में भी चार चांद लगते रहेंगे। बात करें उनकी संपत्ति की तो साल २०२४ तक एमएस धोनी की कुल संपत्ति १२७ मिलियन डॉलर बताई गई है। अगर इसे भारतीय रुपयों में देखा जाए तो १,०४० करोड़ रुपए होते हैं। अब सवाल उठता है कि उन्होंने इतने पैसे कमाए कहां से? तो बता दें कि माही को आईपीएल, विज्ञापनों और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर बिजनेस फर्मों में निवेश के जरिए अच्छी कमाई होती है। धोनी की निवेश, बिजनेस और एड से हर महीने लगभग ४ करोड़ रुपए की कमाई होती है। बता दें कि एक समय धोनी करीब ३० बड़े ब्रांड का विज्ञापन कर रहे थे, जिसमें स्कीपर पाइप, जियो सिनेमा, गल्फ आयल, मास्टर कार्ड जैसे बड़े ब्रांड शामिल थे। मौजूदा समय में भी वह कई विज्ञापनों में नजर आते हैं। इसके अलावा वह फार्मिंग भी कर रहे हैं। धोनी को कडकनाथ चिकन की फार्मिंग करने से एक अच्छी खासी रकम प्राप्त होती है। इन सबके अतिरिक्त धोनी का अपना रुतबा है, जिसकी वजह से वो हमेशा चर्चा में भी बने रहते हैं और बाजार में एक बड़े चेहरा भी बने हुए हैं।
गंभीर के खिलाफ बड़ी साजिश…टीम इंडिया की हार से क्यों आ रही है षड्यंत्र की बू?
जो टीम इंडिया की ताकत थी, वही यदि कमजोरी बन जाए तो इसे क्या कहेंगे? दरअसल, न्यूजीलैंड से दूसरा टेस्ट मैच भी आसानी से हार जाना एक बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है। यह साजिश कोच गौतम गंभीर के खिलाफ हो सकती है जो टीम के ही कुछ खिलाड़ी रच रहे हैं, ऐसे संकेत मिलते हैं। सच क्या है यह इसलिए भी कोई जान नहीं सकता क्योंकि खेल में हार-जीत चलती रहती है। जरूरी नहीं होता कि कोई लगातार जीतता ही रहे, किंतु जरूरी यह हो जाता है उस टीम से जो कम से कम इस तरह नहीं हार सकती जैसे न्यूजीलैंड के खिलाफ हारी है। कहने को कई सारी बातें हैं, मगर जिस अंदेशा का प्रकटीकरण हो रहा है वो गौतम गंभीर के विरुद्ध होता दिख रहा है। अब कहा जा सकता है कि उनकी कोचिंग में अभी हाल ही में हम बांग्लादेश से जीत कर आए हैं और उसके पहले श्रीलंका से टी २० भी। किंतु इनके साथ जीत और न्यूजीलैंड के खिलाफ पराजय के मध्य बड़ा अंतर है। बांग्लादेश से जीतना जरूरी था क्योंकि ऐसी टीम से हारकर देश में बड़ा कोहराम मचता जो छोटी है। न्यूजीलैंड से हारने में वो कोहराम की न गुंजाइश है और न ही खिलाड़ियों पर कोई आफत टूट पड़ती। यहां अपनी निजी खुन्नस को आसानी से निकाला जा सकता है और गंभीर की कोचिंग रिकॉर्ड को बिगाड़ा जा सकता है। यह सब जानते हैं कि विराट कोहली और गंभीर के मध्य कोई बढ़िया रिश्ते नहीं हैं और न ही कप्तान रोहित उनके पक्ष के बड़े खिलाड़ी। गंभीर की कार्यशैली भी अलग है और वो ऐसे कोच हैं, जिनके खिलाड़ी समय में दोनों खिलाड़ी की तरह खेले हैं। ऐसे में उनकी कोचिंग में सीखना अहंकार को चुभता है। बात भले ही बड़ी-बड़ी कर ली जाए पर यह ईर्ष्या रहती ही है। यह सर्वविदित है कि ना तो रोहित का बल्ला चल रहा और न ही कोहली का। इनके साथ वो भी नहीं खेल रहे, जिन्हें कप्तान और कोहली का वरदहस्त है।
सोचने वाली बात यह है कि जिन पिचों को टीम इंडिया के अनुरूप बनाया जाता है, उन्हीं पिचों पर कीवी जम के खेल रहे हैं और टीम इंडिया फुस्स हो रही है। स्पिनर चल नहीं रहे, दिग्गज बल्लेबाज सस्ते में आउट होकर जा रहे हैं। फील्डिंग ढंग की है नहीं। ये सब क्या है? ऐसी कोई बात न्यूजीलैंड में नहीं है जो टीम इंडिया से बेहतर दिख रही हो। साधारण सी टीम है जो असाधारण टीम को आसानी से मात देती दिख रही है। बड़ा कारण यह है कि जब हम न्यूजीलैंड जैसी टीम से हारते हैं तो कोच के रिकॉर्ड पर काला धब्बा अधिक गहरा पड़ता है। कोचिंग पर प्रश्न उठाए जा सकते हैं और यही बात खिलाड़ियों के प्रदर्शन से साफ जाहिर होती है कि वो गंभीर की कोचिंग बर्दाश्त नही करना चाहते। टीम में खेल कौन रहा है? यशस्वी जायसवाल जैसे खिलाड़ी जिन्हें अपने पैर मजबूत करने हैं। जिनके मजबूत हैं ही और जिन्हें टीम से हटाने की ताकत नहीं है वो खिलाड़ी अपने प्रदर्शन में किसी प्रकार की खूबी नहीं दिखा रहे। ये कुछ कारण ऐसे हैं, जो कोच गंभीर के रिकॉर्ड को खराब करने की साजिश पर प्रकाश डालते हैं।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)