-आधी-अधूरी जानकारी से यात्री हुए परेशान
सामना संवाददाता / मुंबई
बांद्रा टर्मिनस हादसे के बाद रेलवे ने डैमेज कंट्रोल करते हुए उसी शाम सीएसएमटी से गोरखपुर के लिए एक स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय तो लिया, लेकिन इसकी जानकारी यात्रियों तक सही समय पर नहीं पहुंच सकी। नतीजतन, १५ डिब्बों की इस विशेष ट्रेन में महज तीन डिब्बों के बराबर ही यात्री मौजूद थे और बाकी ट्रेन लगभग खाली रही। रविवार दोपहर में अचानक इस स्पेशल ट्रेन की घोषणा होने के कारण कई यात्री इस जानकारी से अनभिज्ञ रह गए। एक यात्री राहुल गौरी शंकर खरवार ने बताया कि यदि रेलवे इस ट्रेन की घोषणा कम से कम तीन दिन पहले कर देती, तो हमें इसकी जानकारी मिल पाती और शायद यह ट्रेन खाली नहीं जाती।
यात्रियों का कहना है कि यह स्थिति यात्रियों के लिए और भी मुश्किलें खड़ी कर रही है। ट्रेन में सफर कर रहे कृष्णा कनौजिया ने बताया कि मेरी मां का देहांत हो गया। मेरे एक दोस्त ने बताया कि एक विशेष ट्रेन गोरखपुर जा रही है। यदि उसे यह जानकारी नहीं मिलती, तो शायद हम समय पर नहीं पहुंच पाते। हम किराने की दुकान चलाते हैं और अपने पूरे परिवार के साथ यात्रा कर रहे हैं। यात्रियों की इस बात से स्पष्ट होता है कि रेलवे ने यात्रियों को पूरी जानकारी और सुविधाएं प्रदान करने में असफलता दिखाई है। कई यात्रियों को इससे असुविधा हुई और मजबूरन कुछ अन्य विकल्पों की तलाश करनी पड़ी।
रेलवे की योजना में कमी
विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे ने इस स्पेशल ट्रेन को चलाने का निर्णय जल्दबाजी में लिया और यात्रियों को इसके बारे में पर्याप्त सूचना नहीं दी गई। इसकी वजह से न केवल यात्री असुविधा का शिकार हुए बल्कि रेलवे के संसाधनों का भी उचित उपयोग नहीं हो पाया। रेलवे की ओर से यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा का हवाला देकर जो निर्णय लिए गए, उनमें इस प्रकार की अनियमितता का होना यात्रियों में असंतोष पैदा कर रहा है।