सामना संवाददाता / मुंबई
कॉपी करके पास होने में क्या मजा है। पढ़कर पास होइए और सर्टिफिकेट लीजिए। उसकी खुशी अलग ही होती है। इस तरह का तंज कसते हुए राकांपा (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि पार्टी में फूट पड़ने के बाद मुझे थोड़ा भय लगा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि सभी के चले जाने से हमारा क्या होगा। लोकसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्रों के दौरे करते समय मैं सोचती थी कि आगे मेरा क्या होगा, लेकिन उस चुनाव में मुझे समझ में आ गया कि असली ताकत जनता में होती है। जनता ने अपनी ताकत लोकसभा चुनाव में दिखा दी।
बारामती विधानसभा में राकांपा के उम्मीदवार युगेंद्र पवार के प्रचार के लिए मंगलवार सुबह कन्हेरी में एक सभा आयोजित की गई। इस सभा में बोलते हुए सुप्रिया सुले ने अजीत पवार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस समय महाराष्ट्र में कई कार्यक्रम शुरू हो गए हैं। मैं कई जगहों पर बैनर लगे हुए देखती हूं। बैनर पर लिखा है, यह चिह्न आपका नहीं है। इस चुनाव चिह्न की लड़ाई कोर्ट में चल रही है इसलिए वे भूल गए होंगे, लेकिन मैं अभी तक नहीं भूली हूं। सुप्रिया सुले ने कहा कि किसी अदृश्य शक्ति ने पार्टी और चुनाव चिह्न हड़पने का काम किया है। मैं किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं बोल रही हूं। मैं अदृश्य शक्ति के खिलाफ बोल रही हूं, क्योंकि उसी शक्ति ने हमारा घर तोड़ दिया। पार्टी और सिंबल हथियाने का काम किया। यहां तक कि मुझे भी नहीं पता था कि मैं किस सिंबल पर लोकसभा चुनाव लड़ूंगी, लेकिन हमें जो भी चिह्न मिले, हमने लड़ते हुए जीतकर दिखा दिया।
संविधान से चलेगा यह देश
सुप्रिया सुले ने आगे कहा कि जब चुनाव आयोग के सामने पार्टी सिंबल की बात चल रही थी, तो शरद पवार ४-४ घंटे तक वहां बैठे रहते थे। उन्होंने कुछ नहीं कहा, शांत बैठे रहे। हम भी वहां थे। तब कई लोग हमारा मजाक उड़ा रहे थे। वे ताना मारते थे कि तुम्हारी निशानी और पार्टी भी जाएगी, लेकिन हमने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि आज मैं कहती हूं कि ये देश संविधान से चलनेवाला है। इस देश को कोई अदृश्य शक्ति नहीं चला सकेगी। इस बात पर मेरा दृढ़ विश्वास है।