दिवाली के त्योहार में महाराष्ट्र के लिए एक तकलीफदेह खबर है। इस खबर से महाराष्ट्र के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को वडोदरा में टाटा-एयरबस ‘सी-२९५’ विमान परियोजना का उद्घाटन किया। यह प्रोजेक्ट पहले महाराष्ट्र यानी नागपुर में लगाया जाना था, लेकिन मोदी और शाह के दबाव में इस प्रोजेक्ट को गुजरात ले जाया गया। विदर्भ का विकास पिछड़ा क्यों? इसका उत्तर इस तथ्य में निहित है कि मोदी जैसों ने विदर्भ के मुंह से निवाला छीन लिया है। इस प्रोजेक्ट की वजह से नागपुर में हजारों करोड़ का निवेश होता और विदर्भ में हजारों हाथों को रोजगार मिलता, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के लिए विदर्भ की थाली में मिट्टी डाल दी। टाटा एयरबस परियोजना का उद्घाटन वडोदरा में किया गया और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज को इसके लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। मोदी की हर हरकत से पता चलता है कि उन्हें अभी तक देश के दायरे का एहसास नहीं हुआ है। हम भारत के नहीं, बल्कि गुजरात के प्रधानमंत्री हैं और वे महाराष्ट्र और अन्य राज्यों का हक मार रहे हैं, ताकि केवल गुजरात को ही सारी सुविधाएं और लाभ मिलें। उद्योग के क्षेत्र में महाराष्ट्र नंबर वन था। वह अब खिसककर पांचवें स्थान पर आ गया है। यह क्यों? क्योंकि मोदी ने उन सभी उद्योगों को गुजरात की ओर मोड़ दिया, जो महाराष्ट्र में आना चाहते थे। यह उनकी दुष्ट एवं कालिख मनोवृत्ति का प्रतीक है। टाटा एयरबस परियोजना महाराष्ट्र के लिए एक प्रतिष्ठित परियोजना थी। इस प्रोजेक्ट में ‘सी-२९५’ कार्गो विमानों का निर्माण किया जाएगा। ‘सी-२९५’ किसी निजी परियोजना में तैयार होने वाला देश का पहला विमान होगा। अब भारत और स्पेन की साझेदारी से यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र की बजाय गुजरात में होगा और महाराष्ट्र मोदी-शाह का मुंह ताकता रह जाएगा। मोदी हमेशा ‘मेक इन इंडिया’ का नारा देते हैं, लेकिन उनके मन में सब कुछ यानी गुजरात ‘मेक इन गुजरात’ की योजना है और वे इसी योजना को अंजाम दे रहे हैं। उनका इरादा वह सब कुछ गुजरात ले जाने का है जो महाराष्ट्र ने बनाया है। यदि संभव हुआ तो वे गेटवे ऑफ इंडिया को भी गुजरात ले जाएंगे। शरद पवार द्वारा बनाई गई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और हिंदूदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे द्वारा बनाई गई ‘शिवसेना’ को मोदी-शाह ने तोड़कर खरीद लिया और उनका मुख्यालय गुजरात ले जाया गया। तो इन पार्टियों के नेता भी गुजरात के चाकर बन गए। महाराष्ट्र सब कुछ खो रहा है और बदले में गुजरात वह सब हासिल कर रहा है। महाराष्ट्र में कमजोर सरकार स्थापित कर यह लूट धड़ल्ले से चल रही है। २५ हजार करोड़ रुपए के निवेश का यह प्रोजेक्ट मोदी महाराष्ट्र से ले जाते हैं और राज्य के मुख्यमंत्री और उनके दोनों उपमुख्यमंत्री महाराष्ट्र के अन्याय को खुली आंखों से देखकर चुप रहते हैं। यह निश्चित रूप से महाराष्ट्र को विकास और समृद्धि से वंचित करने की साजिश है। जब महाराष्ट्र सरकार कायर है तो मोदी-शाह के नाम पर स्यापा करने का क्या मतलब? पंडित नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक प्रधानमंत्रियों ने महाराष्ट्र के महत्व को जानते हुए यहां कई राष्ट्रीय परियोजनाएं स्थापित कीं। पेट्रोलियम, भाभा एटॉमिक, ओएनजीसी, आईआईटी जैसी कई परियोजनाओं को बढ़ावा दिया। रक्षा उत्पादन की एक बड़ी परियोजना स्थापित की गई। मुंबई को वित्तीय केंद्र बनाकर देश को मजबूत करने का काम किया। टाटा, अंबानी, बिड़ला जैसे उद्योगों की जड़ें मुंबई की समृद्धि में हैं। मोदी युग में देश की औद्योगिक समृद्धि की जड़ को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। मोदी जब भी विदेश जाते हैं तो गौतम अडानी हमेशा उनके साथ होते हैं। विदेश में और देश के विदेशी निवेश में भागीदार अन्य कोई उद्योगपति नहीं होना चाहिए, इसे राष्ट्रीय आर्थिक नीति नहीं कहा जा सकता। समस्त राष्ट्रीय संपदा का मालिक अडानी, मोदी के मित्र ही होंगे तो देश में समानता और समाजवाद खत्म हो गया है। मोदी ने महाराष्ट्र और उसके साथ अन्याय किया और अन्याय पर मुख्यमंत्री शिंदे, कायर बन मोदी के भजन गाते रहे। मुंबई में बनने वाला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र गुजरात के गिफ्ट सिटी में चला गया। २००६ में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस केंद्र को मुंबई में स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास किए। बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में जमीन केंद्र के लिए निर्धारित की गई थी, लेकिन मोदी ने इस परियोजना को गुजरात स्थानांतरित कर दिया और महाराष्ट्र से पांच लाख नौकरियां चली गईं। मोदी काल में मुंबई का हीरा उद्योग, वेदांता फॉक्सकॉन फैक्ट्री, मुंबई का कपड़ा उद्योग सहित कई परियोजनाएं और संस्थान गुजरात ले जाए गए। ये एक तरह से समुद्री डकैती है। समुद्र में अक्सर समुद्री डकैती होती रहती है। सोमालिया जैसे देश में गरीबी, दरिद्री और बेरोजगारी से तंग आकर वहां के लोगों ने समुद्री डकैती का रास्ता चुना। इनका धंधा नावों, जहाजों, मालवाहक जहाजों को लूटना और नावों पर सवार लोगों को बंधक बनाकर फिरौती मांगना है। ये विषय रोटी, कपड़ा, मकान से जुड़े हैं। महाराष्ट्र से रोटी, कपड़ा, मकान चुराकर गुजरात ले जाना भी समुद्री डकैती का एक रूप है। गुजरात सहित देश के हर राज्य की प्रगति और समृद्धि होनी चाहिए, लेकिन ये कार्य दूसरे राज्यों का खजाना लूटकर नहीं किए जा सकते। गुजरात भारत का एक राज्य है। अगर मोदी के आचरण के कारण अन्य राज्यों को गुजरात के बारे में बुरा लगता है तो इसके लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं। इसलिए मोदी को ये समुद्री डकैती रोकनी चाहिए।