‘मिट्टी की यहां खुशबू अपनी
सौंधी महक की प्रतीक है,
दीपों का प्रज्वलित होना
उंमगता का रस वंदन है
आओ फिर से वही देसी
रंग में त्योहार को मनाएं
एक दीपक आपने
राष्ट्र के नाम पर जलाएं।
देश हमारा अपना
सर्व-शान्ति का पर्यवेक्षक है,
वह खुशहाल रहेगा
तो हम खुशियां मनाएंगे
अपनों से स्नेह के
बंधन में बंधते जाएंगे
एक दीपक जब हम अपने
राष्ट्र के नाम पर जलाएंगे।
एक नन्हा दीपक
जग का अंधकार मिटाएगा,
मन में, तन में समन्वय
व सौहार्द को बढ़ाएगा
फिर आपस में मिलकर
हम एकजुटता का संदेश फैलाएं
जब एक दीपक हम अपने
राष्ट्र के नाम पर जलाएंगे।
सृजनात्मकता, रचनात्मकता व
सकारात्मकता की बागडोर से,
हम पर्व व त्यौहार में अपने
देश को आगे बढ़ाएंगे
इस युवा भारत में फिर
झिलमिलाते दीपक जगमगाएंगे,
जब हम एक दीपक अपने
राष्ट्र के नाम पर जलाएंगे।
सदियों से हम दुश्मनों के हाथों छले गए,
गुलामी के दौर में हम बहुत पीछे हो गए
पर आजादी के बाद हम फिर
नव प्रभात की बेला में आजाद हो गए,
आज स्वतंत्रता की इस
आबोहवा में नए भारत का वंदन करें,
हम दीपावली पर एक दीपक
राष्ट्र वंदना में स्वयं जलाएं…॥
-हरिहर सिंह चौहान
इंदौर, मध्य प्रदेश