अनिल मिश्रा / कल्याण
कल्याण के ग्रामीण क्षेत्र स्थित म्हारल ग्राम पंचायत समिति उल्हासनगर की सीमा पर बसा है। ग्राम का विकास और जनसंख्या बढ़ने के बावजूद लोगों की सुविधाओं में विकास न होने से म्हारल गांव के लोगों को कल्याण और उल्हासनगर जैसी तहसीलों का चक्कर लगाना पड़ता है। यहां विकास सिर्फ अपराध के मामले में दिखाई देता है। बच्चों के लिए खेल मैदान, पुलिस स्टेशन, श्मशान भूमि, बिजली ऑफिस जैसी तमाम समस्याएं यहां हैं। म्हारल गांव का मुख्य रास्ता इतना संकरा है कि जाम जैसी स्थिति यहां हमेशा बनी रहती है। इन सभी जनसुविधाओं की लंबे समय से मांग शुरू होने के बावजूद प्रशासन की ओर से इसे पूरा नहीं किया जा रहा। विकास न होता देख विधायक का चेहरा बदलने के साथ ही म्हारल पंचायत समिति को नपा बनाने की मांग जोर पकड़ रही है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के म्हारल शहर युवासेना अधिकारी निकेत व्यवहारे ने बताया कि म्हारल गांव के लोग शासकीय यातना के शिकार हैं। मुख्य रास्ता इतना संकरा है कि दो बड़े वाहनों का एक साथ आना और जाना क’िन हो जाता है। राशन कार्यालय उल्हासनगर में होने के कारण म्हारल गांव, काम्बा, वरप के हजारों लोगों को उल्हासनगर के राशनिंग कार्यालय में जाना पड़ता है। बिजली कार्यालय कल्याण में है। श्मशान भूमि उल्हासनगर में है। पुलिस स्टेशन टिटवाला में है, जो करीबन दस किलोमीटर दूर है। खेल का मैदान नहीं है। यहां सबसे अधिक बिजली आंख-मिचौली खेलती है। सड़ी-गली व्यवस्था के कारण हवा से बिजली के तार और खंभे अकसर गिरते हैं। कई बस्तियों में आने-जाने के लिए रास्ते नहीं हैं। म्हारल गांव के मृतक व्यक्ति के शवदाह के लिए उल्हासनगर की श्मशान भूमि में जब लकड़ी मुफ्त दी जाती है तो मृतक के गरीब परिजनों से लकड़ी का पैसा क्यों लिया जाता है?
विधायक भाजपा के कुमार आयलानी के होने के बावजूद दोहरा मापदंड क्यों हो रहा है? राज्य सरकार के मंत्रालय के अधिकार में आनेवाले विभिन्न कार्यालयों की परेशानी को जब दस वर्षों में भाजपा विधायक कुमार आयलानी नहीं दूर कर सके और सुविधाएं देने में वो नाकामयाब रहे तो उन्हें विधायक चुनने से क्या फायदा? कुमार आयलानी को कल्याण के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने दो बार विधायक बनाया है। कुमार आयलानी ने कुछ लोगों का हित सोचने के चक्कर में काफी बहुसंख्यकों का विकास रोक दिया है, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग काफी खफा हैं। विकास न होने के कारण म्हारल, काम्बा, वरप के लोगों ने अबकी बार महायुति की बजाय महाविकास आघाड़ी को जिताकर नया चेहरा देने की ठानी है।