देश में ४ लाख मामले हैं अटके
सामना संवाददाता / मुंबई
आम जनता को भी सरकारी कामकाज और जरूरी मामलों की जानकारी देने एवं पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम २००५ को लागू किया गया, लेकिन इसका लाभ आम जनता को आज भी पूरी तरह नहीं मिल रहा है। जानकारी के अनुसार, ३० जून २०२४ तक देश के विभिन्न सूचना आयोगों में कुल ४,०५,५०९ मामले लंबित थे। देशभर के २९ सूचना आयोगों में ये मामले लंबित हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज के नेतृत्व में नागरिक समाज समूह ‘सतर्क नागरिक संगठन’ द्वारा मांगी गई जानकारी में इस बात का पता चला है। इनमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक १,०८,६४१ मामले लंबित हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जहां ५०,०००, तमिलनाडु में ४१,२४१, और छत्तीसगढ़ में २५,३१७ मामले लंबित हैं। जानकारी के अनुसार, ३१ मार्च २०१९ तक २६ सूचना आयोगों में लंबित मामलों की संख्या २,१८,३४७ थी। जून २०२२ में यह संख्या ३ लाख के पार हो गई और अब यह ४,०५,५०९ पर पहुंच गई है। १ जुलाई २०२३ से ३० जून २०२४ के बीच २७ आयोगों ने २,३१,४१७ अपीलें और शिकायतें दर्ज कीं, जबकि इस अवधि में २,२५,९२९ मामलों का निपटारा किया। झारखंड, तेलंगाना, गोवा, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और छत्तीसगढ़ के सात सूचना आयोग पिछले एक साल में विभिन्न समय पर निष्क्रिय रहे हैं। इनमें से झारखंड, तेलंगाना, गोवा और त्रिपुरा के आयोग अभी भी निष्क्रिय हैं।