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सवाल हमारे, जवाब आपके ?

अगले वर्ष १ अप्रैल से महाराष्ट्र बोर्ड स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत करने की तैयारी में है। बोर्ड के इस पैâसले से जहां बच्चों को स्कूल जाते समय अप्रैल और मई की गर्मी सताएगी, वहीं गर्मियों में बाहर जानेवाले परिवारों के प्लान पर पानी फिर जाएगा। महाराष्ट्र बोर्ड के इस निर्णय पर आपका क्या कहना है?
बनेगा परेशानी का सबब
गर्मियों में बच्चों को पढ़ाई के लिए मजबूर करना गलत है। अप्रैल और मई महीने में ज्यादातर लोग अपने परिवार के साथ घूमने या शादी-ब्याह में जाते हैं। ऐसे में महाराष्ट्र बोर्ड का ये कदम बच्चों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बनेगा।
– सूरज मिश्रा, मीरा रोड
बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
गर्मी के मौसम में बच्चों को स्कूल भेजना, उन्हें मुश्किलों में डालना है क्योंकि अप्रैल और मई महीने की भीषण गर्मी में पढ़ाई का बोझ बच्चों की सेहत और स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं। महाराष्ट्र बोर्ड का यह पैâसला बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।
– अमिता नांगिया, कालबा देवी
यह निर्णय उचित नहीं
गर्मियों में बच्चों को स्कूल भेजना स्वास्थ्य और सुरक्षा के नजरिए से यह निर्णय उचित नहीं। गर्मियों की छुट्टियों का उद्देश्य है कि बच्चे अपनी पढ़ाई से एक ब्रेक लें। बच्चे अपने परिजनों के साथ बाहर घूमने जाते हैं। बोर्ड का ये पैâसला बच्चों को न केवल परिवार के साथ बाहर जाने पर रोक लगाएगा, बल्कि उन्हें और थकाएगा।
– महेश परमार, भायंदर
हो सकता है बच्चों के लिए कष्टकारी
गर्मियों में स्कूल की पढ़ाई बच्चों के लिए कष्टकारी हो सकती है। तेज गर्मी में बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित होगा। ज्यादातर गर्मियों के समय बच्चे अपने परिवार के साथ हिल स्टेशन या फिर अपने गांव घूमने के लिए जाते हैं। ऐसे में बोर्ड के इस निर्णय से परिवारों के साथ वक्त बिताने का मौका बच्चों से छिन जाएगा।
– कला श्रीवास्तव, सांताक्रुज
बच्चों पर पड़ेगा नकारात्मक असर
अप्रैल-मई की उमस में बच्चे अपनी पढ़ाई पर ठीक तरह से ध्यान नहीं दे पाएंगे। इस दौरान पड़नेवाली गर्मी उनके स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए सही नहीं। गर्मियों में स्कूल खोलने का महाराष्ट्र सरकार का निर्णय बच्चों और उनके परिवारों पर नकारात्मक असर डालेगा।
– कुसुम जोशी, कलंबोली

गांव नहीं जा सकेंगे बच्चे
अप्रैल-मई की भीषण गर्मी के दौरान बच्चों को स्कूल भेजना असुरक्षित हो सकता है। ये कदम न सिर्फ बच्चों के लिए, बल्कि उनके पूरे परिवार के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा क्योंकि बच्चे इस निर्णय के बाद अपने गांव या बाहर घूमने नहीं जा सकेंगे।
– रामजी सिंह, घाटकोपर

बोर्ड का निर्णय बच्चों के हित में नहीं
महाराष्ट्र बोर्ड का यह निर्णय बच्चों और परिवारों के हित में नहीं है। गर्मियों में स्कूल जाने का पैâसला उनके स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन पर बुरा प्रभाव डालेगा। बच्चों को इस दौरान मस्ती करने का मौका मिलना चाहिए।
– कल्पना भोसले, अंधेरी

अगले सप्ताह का सवाल?
पिछले दिनों बांद्रा टर्मिनस पर अंत्योदय एक्सप्रेस के आते ही मची अफरातफरी के दौरान दर्जनों लोग घायल हो गए। इस दर्दनाक हादसे के बाद भी सरकार व रेलवे की आंख नहीं खुली। रेलवे और सरकार द्वारा स्टेशनों पर यात्रियों के लिए उचित व्यवस्था न किए जाने पर आपका क्या कहना है?
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