– पुणे और पश्चिमी महाराष्ट्र में दिख रही समान तस्वीर
– राकांपा कार्यकर्ताओं में पैदा हुई भ्रम की स्थिति
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की तस्वीर अचनाक भाजपानीत महायुति की प्रचार सामग्रियों से गायब हो गई है। यह स्थिति सिर्फ पुणे में ही नहीं, बल्कि उनके गृहनगर पश्चिमी महाराष्ट्र में भी दिखाई दे रही है। महायुति द्वारा लगाए गए पोस्टरों और होर्डिंग्सों में केवल प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम और तस्वीर है। यहां तक कि महायुति द्वारा मुख्यमंत्री मेरी ‘लाडली बहन योजना’ के प्रचार के लिए क्षेत्रीय टेलीविजन पर जारी किए गए विज्ञापन वाले वीडियो में भी अन्य लोगों के साथ अजीत पवार की तस्वीर नहीं है। ऐसी स्थिति में अजीत पवार गुट के कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा हो गया है। उल्लेखनीय है कि चुनाव की घोषणा होने के पहले से ही महायुति में शामिल अजीत पवार गुट के साथ तनातनी चल रही है। इस बीच मुंबई में अजीत पवार द्वारा नवाब मलिक की बगावत के बावजूद एबी फॉर्म देना और मलिक द्वारा नामांकन फॉर्म भरना आग में घी डालने का काम किया है। इससे भाजपा और शिंदे गुट के साथ अजीत पवार गुट में कटुता और बढ़ गई है।
अल्पसंख्यकों के साथ हैं अजीत को करना पड़ रहा है साबित
-नवाब मलिक को टिकट देने से भाजपा नाराज
बुधवार को भाजपा द्वारा आधिकारिक तौर पर यह घोषणा की गई कि वह नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी। बता दें कि बीते कुछ दिनों से अजीत पवार को विभिन्न रैलियों में यह कहते हुए सुना गया कि मैंने फुले, शाहू और डॉ. आंबेडकर के मार्ग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता नहीं छोड़ी है। उन्होंने यह रुख तब अपनाना शुरू किया, जब लोकसभा चुनाव में उनके गुट को एहसास हुआ कि उन्हें विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ा। इसका मुख्य कारण यह था कि लोगों में गलत धारणा बन गई थी कि अब वे पूरी तरह से भाजपा के साथ जुड़ते हुए हिंदुत्व के रास्ते पर चल पड़े हैं। अब अजीत पवार को यह साबित करना पड़ रहा है कि वे अल्पसंख्यक समुदायों के साथ खड़े हैं। खासकर, मुंबई में उनके तीन उम्मीदवार भी अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं और मुस्लिम क्षेत्रों में चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें शिवाजी नगर, मानखुर्द से नवाब मलिक, अणुशक्ति नगर से सना मलिक और बांद्रा (पूर्व) से जिशान सिद्दीकी उनके अधिकृत उम्मीदवार हैं।
नवाब मलिक के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। उनकी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के रिश्तेदारों से कथित तौर पर जुड़ी एक भूमि सौदे में गिरफ्तारी हुई है। हालांकि, २०२४ के विधानसभा सत्र के दौरान मेडिकल आधार पर जमानत पर रिहा हुए मलिक को अजीत पवार गुट के अन्य सदस्यों के साथ सत्ता पक्ष की बेंच पर बैठकर सत्र में भाग लेते देखा गया था। अब मलिक को अजीत पवार द्वारा आधिकारिक रूप से चुनाव में खड़े किए जाने से भाजपा नाराज है।