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केमिकल कंपनियां कर रही हैं पर्यावरण से खिलवाड़! …लोगों की जान पर मंडराया खतरा


सामना संवाददाता / पालघर 

पालघर के सातपाटी-खारेकुरण-मुरबा की खाड़ी में कारखानों से केमिकलयुक्त प्रदूषित पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे पानी जहरीला हो रहा है। इस प्रदूषित पानी के कारण खाड़ी की हजारों मछलियां मर गर्इं। इस घटना से स्थानीय मछुआरों में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल और महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के खिलाफ काफी गुस्सा है। ‘महाराष्ट्र मच्छीमार कृती समिति’ सहित मछुआरों के अन्य संगठनों ने कारखानों का प्रदूषित पानी खाड़ियों में छोड़ने पर रोक नहीं लगाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। बता दें कि यह कोई पहली घटना नहीं है, इसके पहले भी कई इलाकों में प्रदूषित पानी से मछलियों की मौत हो चुकी है। ये कंपनियां न केवल पर्यावरण बल्कि लोगों की जान के साथ भी खिलवाड़ कर रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, सातपाटी-खारेकुरण-मुरबा की खाड़ी में हजारों मछलियां मर गई थीं। इस संबंध में मछुआरों के संगठन के प्रतिनिधियों ने तारापुर में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल और महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (एमआईडीसी) के कार्यालयों पर विरोध दर्ज कराया और अधिकारियों से मिलकर इसे तत्काल रोकने की मांग की। मछुआरों के विरोध को देखते हुए अधिकारियों ने प्रदूषित पानी समुद्र में नहीं छोड़े जाने का आश्वासन दिया। मछुआरों ने बताया कि एमआईडीसी से निकलने वाला केमिकलयुक्त पानी समुद्र और खाड़ियों में छोड़ा जाता है, इससे मछलियां मर रही हैं और इसका असर रोजगार पर पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि एमआईडीसी को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि प्रदूषित पानी दोबारा खाड़ियों में न छोड़ा जाए। अगर ऐसा फिर से होता है तो हमें सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

क्या है नियम?
जानकारों के अनुसार, पालघर एमआईडीसी में बड़ी संख्या में रासायनिक कंपनियां हैं, जहां से केमिकल कचरा निकलता है। नियमों का उल्लंघन करते हुए ये कंपनियां सीवर के रास्ते से केमिकल कचरे को समुद्र में छोड़ देते हैं, जबकि नियम है कि ऐसे कचरे को किसी खुले स्थान या खाड़ी, नदी, नालों में छोड़ेने का नहीं है बल्कि उसका उचित समायोजन करना है।

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