संदीप पांडेय
मेहनती इंसान किसी की चाटुकारिता नहीं करता क्योंकि उसे अपनी मेहनत और ईमानदारी पर पूरा भरोसा होता है। खैर, अपने बलबूते अपना मकाम बनानेवाले पंडित गुरु प्रसाद सती प्रसाद तिवारी १६ वर्ष की उम्र में उत्तर प्रदेश के आंबेडकर नगर जनपद (अयोध्या) के गोसाईगंज कस्बे से मुंबई आए। वैसे तो गुरु प्रसाद के चाचा गंगा प्रसाद तिवारी १९५६ में ही मुंबई आए थे और कालबा देवी रोड स्थित इलाहाबाद बैंक में बतौर एड हॉक कार्यरत थे। पारिवारिक जीवन को खींच-खांच कर पटरी पर लानेवाले पिता सती प्रसाद तिवारी अपने बड़े बेटे गुरु प्रसाद को आठवीं तक ही शिक्षा दिला पाने में कामयाब रहे। शिक्षा पर लगी लगाम ने गुरु प्रसाद को तोड़कर रख दिया और व्यथित होकर पैसा कमाने के उद्देश्य से गुरु प्रसाद मुंबई आ गए। अति निर्धनता वाली जिंदगी को अलविदा कह नंगे पांव मुंबई का सफर तय करनेवाले १६ वर्षीय गुरु प्रसाद को मुंबई में एक मुस्लिम दोस्त का सहारा मिला, जो डूबते इंसान को कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने में तुरुप का पत्ता साबित हुआ। अपने वफादार मुस्लिम दोस्त के सहयोग से गुरु प्रसाद ने दक्षिण मुंबई स्थित मां मुंबादेवी मंदिर क्षेत्र में पूजा संबंधी सामग्रियों की एक छोटी दुकान कर ली। भाग्य ने भी गुरु प्रसाद का साथ दिया और कुछ ही दिनों में कड़ी मेहनत और मां मुंबादेवी के आशीर्वाद से छोटे युवा व्यापारी गुरु प्रसाद को एक अच्छी पहचान मिल गई। आज मुंबादेवी मंदिर में पूजा-अर्चना करनेवाले तमाम गरीब और बेसहारा लोग गुरु प्रसाद तिवारी को ही ढूंढते हैं। मां मुंबादेवी के भक्तों की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करना उनकी दिनचर्या बन चुका है। छोटे-मोटे पारिवारिक रिश्तों की खटास दूर करने वाले गुरु प्रसाद की विशेषता है कि वो पूजा-पाठ सहित आदि कार्यों को नि:शुल्क करते हैं। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने गरीबी को बहुत करीब से भोगा है। अगर किसी गरीब व्यक्ति को आत्मसम्मान मिलता है तो इससे बड़ी खुशी की बात उसके लिए कोई और नहीं हो सकती। इस पवित्र काम को कर मैं बहुत सुकून महसूस करता हूं। गरीबी की जिंदगी को हमेशा के लिए अलविदा कह चुके गुरु प्रसाद तिवारी मुंबादेवी हॉकर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य के रूप में छोटे व्यापारियों का सहारा बने हुए हैं। इस ईमानदारी पूर्वक जीवन के सफर में उनके आंगन में लक्ष्मी रूपी छह बेटियों का जन्म हुआ, जिन्हें उन्होंने उच्च शिक्षा दिलवाई और पांच बेटियों का उन्होंने विवाह भी कर दिया। वहीं उनकी छठी बेटी इलाहाबाद हाई कोर्ट में अधिवक्ता बनकर सेवा कार्य कर रही है।