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दिवाली के बाद मुंबई की हवा हुई खराब, फेफड़ों के मरीजों की बढ़ी संख्या! …अस्पतालों में ५० फीसदी मामले आए सामने

सामना संवाददाता / मुंबई
दिवाली अब बीत चुकी है, लेकिन इस बीच तीन से चार दिन तक फोड़े गए पटाखे अब लोगों के स्वास्थ्य के लिए समस्याएं खड़ी कर रहे हैं। पटाखों से होने वाले प्रदूषण ने हवा के स्तर को इस कदर खराब कर दिया है कि मुंबईकरों के लंग्स बीमार पड़ने लगे हैं। आलम यह है कि मुंबई के विभिन्न अस्पतालों में फेफड़ों के मरीजों में ५० फीसदी का इजाफा हुआ है। चिकित्सकों के मुताबिक, मुंबई के अस्पतालों में सांस संबंधी मामलों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिसमें आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीज भी शामिल हैं। डॉक्टर इसका कारण मौसम में परिवर्तन, यातायात जाम और जमकर फोड़े गए पटाखों से बिगड़े वायु प्रदूषण को मान रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मुंबई में दिवाली के एक दिन पहले से लेकर दो दिन बाद तक लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े हैं। एक तो पहले से ट्रैफिक जाम, शहर में चल रहे विभिन्न योजनाओं, निर्माण कार्यों समेत अन्य वजहों से वायु प्रदूषण थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी में दिवाली में फोड़े गए पटाखों ने इसमें चिंगारी डालने का काम किया है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. स्वप्निल मेहता ने बताया है कि दिवाली के बाद से श्वसन संबंधी बीमारियों के अस्पताल में आनेवाले रोगियों की संख्या में लगभग ५० फीसदी की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों के रुझान दिवाली के बाद वायु प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाते हैं, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि होती है। उन्होंने यह भी कहा है कि बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और पहले से ही श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति सबसे अधिक संवेदनशील बने हुए हैं। दूसरी ओर डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार युवा, स्वस्थ कामकाजी वयस्क भी अब इससे प्रभावित हो रहे हैं।
सामने आ सकते हैं और मामले
ब्रीच कैंडी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. प्रतित समधानी ने कहा कि इस समय हम गंभीर निमोनिया के मामले देख रहे हैं। इसमें वायरल और बैक्टीरियल के मामले भी शामिल हैं, जिन्हें ठीक होने में अधिक समय लग रहा है। मौसम और वायु प्रदूषण इसके प्रमुख कारण हैं। दिवाली के दौरान पटाखे हवा में पार्टिकुलेट मैटर बढ़ाते हैं, जिससे प्रदूषण और भी खराब हो जाता है। अब जबकि दिवाली खत्म हो गई है, हमें और भी अधिक मामले देखने को मिल सकते हैं।

डॉक्टरों ने दी ये सलाह
नानावटी मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन के निदेशक डॉ. सलिल बेंद्रे ने गहरी सांस लेने वाला व्यायाम की सलाह दी है, जिसमें बतौर योग से जुड़े व्यायाम जैसे प्राणायाम आदि को शामिल करें। उन्होंने कहा कि श्वसन की मांसपेशियों को मजबूत करने और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने से हमारे फेफड़े प्रदूषण से बेहतर तरीके से निपट पाते हैं। अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना भी मांसपेशियों के कार्य में सहायता करके और वायु मार्ग को साफ रखकर श्वसन स्वास्थ्य को तंदुरुस्त करता है।

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