सामना संवाददाता / नई दिल्ली
हिंदुस्थान के चीफ जस्टिस का रिटायरमेंट करीब है तो ऐसे में वे अपना समय सार्वजनिक कार्यक्रमों में अधिक बिता रहे हैं, इसे लेकर ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ को कड़े शब्दों में पत्र लिखकर उनकी न्यायिक मामलों के बजाय सार्वजनिक व्यस्तताओं पर चिंता जाहिर की है। आदिश अग्रवाल ने दावा किया है कि सीजेआई चंद्रचूड़ का कार्यकाल १० नवंबर को समाप्त होने वाला है, ऐसे में चंद्रचूड़ न्यायपालिका से जुड़ी गंभीर चिंताओं को दरकिनार कर देशभर के कार्यक्रमों में भाग लेने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
इस बारे में पत्रकार मनीष छिब्बर द्वारा सोशल मीडिया के ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए इस पत्र में आदिश अग्रवाल ने सीजेआई चंद्रचूड़ की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाते हुए सुझाव दिया कि सार्वजनिक दिखावे के चक्कर में सीजेआई अपनी न्यायपालिका से जुड़ी जिम्मेदारियों की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने लिखा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आपका कीमती समय आपकी सेवानिवृत्ति के आखिरी चरण के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धांजलि समारोहों में भाग लेने पर केंद्रित है। पत्र में यह भी कहा गया है कि विभिन्न बार एसोसिएशनों की ओर से सीजेआई को कई अभ्यावेदन दिए जाने के बावजूद जस्टिस आर. सुब्रह्यण्यम के मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इसके अलावा कोर्ट रूम के भीतर अधिवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार के संबंध में एसोसिएशन की सुधार की कई अपीलों के बाद भी सीजेआई की चुप्पी और निष्क्रियता देखी गई।
अग्रवाल ने इस मामले पर चंद्रचूड़ की चुप्पी की भी आलोचना करते हुए कहा कि सीजेआई का ध्यान ‘प्रचार’ पर केंद्रित होने से अदालत के भीतर मर्यादा के मुद्दे पर बात नहीं हो रही है। अग्रवाल ने अपने पत्र में सीजेआई से उनके कार्यकाल के अंतिम दिनों में अदालत कक्षों के भीतर सम्मानजनक आचरण को बहाल करने और यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की है कि अधिवक्ताओं के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए न कि ‘नौकरों’ की तरह। गौरतलब है कि यह आलोचना ऐसे समय में सामने आई है, जब हाल ही में जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने घर पर गणेश चतुर्थी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूजा में शामिल होने पर बचाव करते हुए कहा है कि ये न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच सामान्य मुलाकात जैसा है और इस तरह के सामाजिक संबंधों में ‘कुछ भी गलत नहीं था।’