– १० हाथियों की मौत पर भी उठे सवाल
मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अभी हाथियों की मौत की आंच ठंडी भी नहीं हुई थी कि वन्यजीवों से जुड़ी एक और चिंताजनक खबर सामने आई है। प्रदेश का बरखेड़ा-बुदनी रेल खंड वन्यजीवों के लिए काल साबित हो रहा है। ९ सालों में इस रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों की चपेट में आने से कई वन्यजीवों की मौत हो चुकी है, लेकिन फिर भी व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ है। बरखेड़ा से बुदनी के बीच रेलवे लाइन प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। वर्ष २०१५ से अब तक इस रेलवे ट्रैक पर १४ तेंदुओं, ७ बाघों और एक भालू की मौत हो चुकी है। इससे साफ है कि यहां वन्यप्राणियों को हादसों से बचाने के लिए किए गए प्रयास नाकाफी हैं।
मूक वन्यजीवों की मौतों को लेकर अब एमपी की जनता ने भी अपनी नाराजगी जताई है और कहा है कि ये हादसा नहीं, बल्कि हत्या है। क्योंकि बेजुबानों की मौत पर भी एमपी की भाजपा सरकार वन्यजीवों को हादसों से बचाने के लिए कोई पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है।
राजस्थान में १ साल में
लापता हुए २५ बाघ
राजस्थान के रणथंभौर नैशनल पार्क में पिछले १ वर्ष में ७५ में से २५ बाघ लापता हो गए, जिसकी जांच के लिए मुख्य वन्यजीव वॉर्डन पवन कुमार उपाध्याय ने ३ सदस्यीय कमिटी का गठन किया है। उपाध्याय ने बताया कि बाघों के लापता होने को लेकर पार्क के अधिकारियों को पत्र लिखने और पूछताछ के बावजूद कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।