डॉ. ममता शशि झा मुंबई
रायचंद जी समय के बहुत पाबंद छला। हुनका कतहु समय पर या समय सँ पाँच मिनट पहिने पहुँचनाय नीक लगइ छलनि, मुदा अहि स्वभाव के कारण हुनका सब नापसंद करइ छलनि। लोक सब के सोचनाइ छलइ जे कोनो परीक्षा देब के छइ, की कोनो ट्रेन आ हबाई जहाज पकड़ के छइ जे हड़बडी मचा क ठीक समय पर कोनो काज, तिहार या भोज में पहुंचल जाय। कोनो पाई के नोकसान हेतई! मुदा रायचंद जी के कहनाई छलनि जे जाहि काज के लेल जे समय निर्धारित केल गेल छइ ओ काज ओहि समय पर हेबाक चाही। सब सँ बेसी परेशानी हुनका रिसेप्शन में गेला के बाद होइ छलनि आ अकक्ष भ जाय छल हिनका बजाब बला सब।
भोज में देरी भेला पर अपन पत्नी के घर पर खेनाइ बनाब लेल कहइ छलखिन, ताहि सँ हुनकर पत्नी सेहो परेशान भ जाय छलखिन। नोत देब बला जदि बारह बजे के बिझो के समय दइ छलखिन त इ बूझि के जे नोतहारी चलन के हिसाब सँ एक-डेढ़ बजे तक आबि जेथीन। नोतहारियो सब बुझइ छलखिन अहि बात के, कियेक त हुनको घर में सैह बात रहइ छलनि। रायचंद जी के जँ नोत दइ छलखिन त ओ बारह बजे सँ पाँच मिनट पहिने पहुँच जाय छलखिन, ताहि सँ बेसी काल हुनका लोक सब चूड़ा-दही, खुआ क बिदा के दइ छलनि, कियेक ते समय पर भोजन नहीं करेला सँ ओ तमसा के चलि जेथिन आ नोतल ब्राह्मण कोना नहि खेता से सोचि के। जहन पत्नी के पारस में रंग-बिरंग के भोजनक प्रकार देखइ छलखिन त मोने मसोसी क रहि जाय छला। हुनकर अहि आदत सँ हुनकर परिवार के लोक सब सेहो परेशान रहइ छलनि।
लोक सब त हुनकर असलि नामों बिसरि गेल छलनि, सब हुनका ‘घड़ी बाबू’ कही के संबोधित करइ छलनि। हुनका विचित्र लगइ छलनि जे असमय, कुसमय काज कर बला के मजाक उड़ेबाक चाही ते लोक हुनकर मजाक उड़बइ छनि। आब ते कतहु बियाह-दान आ कोनो पार्टी में जाय काल में परिवार के लोक सब सेहो नहिं चाहइ छनि जे ओ संगे जाथिन कियेक ते ओहो सब ओत लेट सेट पहुँच के पूरा कार्यक्रम के आनंद उठा के देरी सँ घर आब चाहइ छलखिन, कियेक ते रायचंद जी के जँ भोजन समय पर भोटियो जाय छलनि तँ समय पर आबि के सुतबाको रहइ छलनि।
रायचंद जी सोचइ छला जे केहन समय आबि गेलइया जे समय पर चल बला व्यक्ति, समयानुसार चल बला नहिं रहि गेलइया!!!