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संपादकीय : ‘बुलडोजर’ पर हथौड़ा!

भाजपावाले सभी को धर्म और अधर्म का उपदेशामृत देते रहते हैं। उनका दावा है कि केवल वे ही धार्मिक हैं और उनके विरोधी व आलोचक अधार्मिक हैं, वे ही धर्म के एकमात्र ठेकेदार हैं, लेकिन अब इस दावे को सुप्रीम कोर्ट ने सुई चुभो दी है। उत्तर प्रदेश में जिस ‘बुलडोजर’ कार्रवाई को योगी सरकार और भाजपाइयों ने ‘कठोर प्रशासनिक कार्रवाई’ आदि कहकर सिर पर बिठा लिया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने ‘कानून व्यवस्था का उल्लंघन’ करार दिया है। मकानों पर सीधे बुलडोजर चलाना अधर्म और मनमानी है, इन शब्दों में कोर्ट ने योगी सरकार के कान उमेठ दिए हैं। बिना नोटिस दिए सरकार लोगों के घर वैâसे तोड़ सकती है? खंडपीठ ने ऐसा सवाल उठाते हुए योगी सरकार को पीड़ित याचिकाकर्ता को २५ लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। दो माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर एक अक्टूबर तक रोक लगा दी थी। यह भी आदेश दिया गया कि अगली सुनवाई तक कोई बुलडोजर कार्रवाई न की जाए। उस वक्त भी कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर नापसंदगी व्यक्त की थी। कोर्ट ने कड़े शब्दों में फटकार लगाते हुए कहा था कि बुलडोजर की कार्रवाई का मतलब कानून पर बुलडोजर चलाने जैसा है, बावजूद इसके भाजपा शासित राज्यों में ‘बुलडोजर फोबिया’ खत्म नहीं हुआ है। इसके उलट, इन कार्यों को भाजपा शासित सरकारों द्वारा ‘मुंहतोड़ कानूनी जवाब’ के तौर पर ‘ग्लोरीफाई’ किया गया। हमेशा की तरह इसमें धार्मिक रंग भी घोल दिया गया था। खासकर, उत्तर प्रदेश में इस कार्रवाई का खूब प्रचार हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके समर्थकों और अंधभक्तों ने ‘बुलडोजर बाबा’ कहते हुए सिर माथे पर बिठा लिया था। मध्य प्रदेश में जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे, तब वहां बुलडोजर कार्रवाइयों का उबाल आ गया था। महाराष्ट्र में भी भाजपा के उप मुख्यमंत्री ने ऐसी कोशिश की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इन गतिविधियों की हवा ही निकाल दी है। उत्तर प्रदेश में एक मामले की सुनवाई में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने योगी महाराज को सुना दिया, ‘किसी घर पर बुलडोजर चलाना मनमानी और अधर्म है।’ न्यायाधीश ने सवाल किया कि अगर ये निर्माण अवैध थे, तो सरकार अब तक सोई क्यों रही? इतने वर्षों तक सरकार, प्रशासन क्या कर रहे थे? कोर्ट ने अतिक्रमण की सटीक जानकारी को लेकर सरकार की ओर से किए गए खुलासे पर भी सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट का पैâसला इस आरोप पर मुहर है कि उत्तर प्रदेश समेत भाजपाशासित राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई के नाम पर लोगों को तकलीफ दी गई। बुलडोजर ऑपरेशन के पीछे राज्यों को हिंदू-मुस्लिम में ध्रुवीकृत करने, इसका राजनीतिक फायदा उठाने और अपनी छवि बढ़ाने की कोशिश थी। मुख्य रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में हुए ‘एनकाउंटर’ और ‘बुलडोजर’ ऑपरेशन को इसी नजर से देखा गया। योगी महाराज ने इन सभी गतिविधियों का इस्तेमाल अपनी छवि चमकाने के लिए किया। उन्होंने खुद को एक सख्त प्रशासक के रूप में प्रदर्शित करने के लिए खुद को ‘बुलडोजर बाबा’ के रूप में भी चित्रित किया, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के ‘अधर्म’ और ‘मनमानी’ का बुर्का तार-तार कर दिया है। कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई पर हथौड़ा चलाकर भाजपाशासित राज्य के हुक्मरानों को ‘आईना’ दिखाया है। क्या अब भी भाजपा के स्वघोषित ‘बुलडोजर बाबा’ उस आईने में देखेंगे? यही असली सवाल है।

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