एम एम सिंह
सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बच्चे किस कदर बर्बाद हो रहे हैं, इस पर बहस करना बेईमानी मानी जा सकती है। सोशल वेलफेयर से जुड़ी कई संस्थाएं, शैक्षणिक संस्थाएं और डॉक्टर्स आए दिन बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दूर रहने की नसीहत देते रहते हैं। लेकिन जिनके हाथों में कानून बनाने की ताकत है, वे लोग यानी हुक्मरान और उनके चेले-चपेटे अपने कानों में रूई डालकर बैठे हैं। लेकिन सभी हुक्मरान इतने संवेदनशील नहीं होते। बच्चों के भविष्य को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने एक बड़ा पैâसला लिया है। ऑस्ट्रेलिया ने अब १६ साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा कि युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया में १६ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित किया जाएगा। साथ ही संबंधित कंपनियों को नए नियमों को लागू करना होगा या फिर उन्हें जुर्माना भरना पड़ सकता है। इस साल ऑस्ट्रेलियाई संसद में इससे संबंधित एक विधेयक पेश किया जाएगा।
पीएम अल्बनीज के मुताबिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह दिखाने की जिम्मेदारी होगी कि वे पहुंच को रोकने के लिए उचित कदम उठा रहे हैं। इसकी जिम्मेदारी माता-पिता या युवा लोगों पर नहीं होगी। यूजर्स के लिए कोई दंड का प्रावधान नहीं होगा। बकौल पीएम अल्बनीज, `सोशल मीडिया हमारे बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है। मैं इस पर वक्त की नजाकत को देखते हुए कदम उठा रहा हूं।’
अब बात करें हमारे देश की तो याद कीजिए लोकसभा चुनाव से और पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल इनफ्लुएंसर्स से मुलाकात की थी। सोशल मीडिया पर छाए इन इन्फ्लुएंसर्स में कुछ ऐसे भी हैं, जिसे बच्चे जुड़े तो हैं, लेकिन बच्चों के माता-पिता और परिवार नफरत करते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे घटिया और हिंसक प्रवृत्ति वाले गेम हैं, जो बच्चों को मानसिक रूप से हिंसक और कमजोर बनाते हैं। इनकी भाषा इतनी घटिया होती है कि आप उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। ऑस्ट्रेलिया के पीएम के लिए वक्त की नजाकत यह है कि वह सोशल मीडिया पर अंकुश लगाकर बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने की दिशा में कदम उठाएं और यहां पर वक्त की नजाकत यह थी कि इन्फ्लुएंसर्स के जरिए युवाओं को `इन्फ्लुएंस’ करें।