श्रीकिशोर शाही मुंबई
१६ जुलाई २०२०, शाम के ७ बज रहे थे। जालंधर से ५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटे से शहर मोगा में तेजिंदर सिंह उर्फ पिंका अपनी दुकान ‘सन साइन’ के बाहर खड़े होकर सड़क पर आते-जाते लोगों को देख रहे थे। तभी बाइक पर सवार दो युवक उनके करीब आए और धाएं-धाएं की आवाज गूंज उठी। एक के बाद एक ५ गोलियां पिंका के शरीर में समा गर्इं। पिंका वहीं गिर गए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। हत्या करने के बाद हमलावर फरार हो गए। सरे शाम इस घटना से मोगा दहल उठा। यह हत्या उसी अर्शदीप डल्ला ने करवाई थी, जिसे कल कनाडा में पुलिस ने गिरफ्तार किया है। हालांकि, जब उसने पिंका की हत्या करवाई थी, तब उसकी पहचान एक छोटे-मोटे गुंडे की थी।
उसी साल २० नवंबर २०२० की दोपहर डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मनोहरलाल अरोड़ा बठिंडा में अपने घर से बाहर निकल रहे थे, तभी मास्क लगाए एक शख्स आया और उसने उनके ऊपर गोलियों की बौछार कर दी और वहां से फरार हो गया। मनोहरलाल की हत्या के बाद वहां उनके काफी समर्थक जमा हो गए। समर्थकों की जिद थी कि जब तक हत्यारे पकड़े नहीं जाते, तब तक वे शव की अंत्येष्टि नहीं करेंगे।
उपरोक्त दोनों हत्याओं में एक बात कॉमन थी कि दोनों ही हत्याओं की जिममेदारी हत्यारे ने सोशल मीडिया पर ली थी। शूटर ने अपना नाम सुक्खा गिल बताया था, पर इन दोनों ही हत्याओं का मास्टरमाइंड अर्शदीप डल्ला था। डल्ला उस वक्त २४ साल का बांका जवान था और एक खतरनाक गैंगस्टर के तौर पर उभर रहा था। हफ्तावसूली, अपहरण और हत्या यही काम थे उसके। करीब एक दर्जन हत्याओं में डल्ला का नाम आने के बाद पुलिस ने उसको पकड़ने के लिए आसमान-पाताल एक कर दिया। उधर डल्ला की ख्याति कनाडा तक पहुंच चुकी थी और खतरनाक खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर ने फर्जी पासपोर्ट पर कनाडा भागने में उसकी मदद की। कनाडा पहुंचकर निज्जर ने डल्ला के साथ मिलकर केटीएफ (खालिस्तान टाइगर फोर्स) नामक एक संगठन बनाया और फिर वहीं से बैठकर भारत में हत्याओं को अंजाम देने लगा। बताया जाता है कि निज्जर की हत्या के बाद केटीएफ गैंग डल्ला ही ऑपरेट कर रहा है और कनाडा में बैठकर वह अभी तक भारत में १५० से ज्यादा हत्याएं करवा चुका है। ऐसे में निज्जर की हत्या पर हायतौबा मचानेवाले कनाडा ने डल्ला को क्यों पकड़ा है, यह कुछ हैरान करनेवाला है! अगर यह सिर्फ दिखावटी है तो कोई बात नहीं, पर यदि यह वास्तविक है तो फिर कहा जा सकता है कि अर्शदीप डल्ला का सफर अर्श से फर्श पर पहुंच चुका है।