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चिराग के चीचा बोलेंगे बाय-बाय! … मोदी का साथ छोड़ेंगे पशुपति पारस भाजपा की ‘उपयोग करो और फेंक दो’ वाली नीति से हुए नाराज

सामना संवाददाता / पटना
क्या एनडीए से पशुपति कुमार पारस की पार्टी आरएलजेपी अलग होगी? सोमवार को पार्टी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल के एक बयान से बिहार में सियासी भूचाल आ गया है। उनके बयान से ही इस तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं। श्रवण अग्रवाल ने सोमवार को पीसी कर कहा कि एनडीए में आरएलजेपी को कमजोर किया गया है। पटना में १९ और २० नवंबर को आरएलजेपी की बड़ी बैठक होगी। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री व आरएलजेपी के अध्यक्ष पशुपति पारस बड़ा फैसला लेंगे। उधर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा की उपयोग करो और फेंक दो वाली नीति का शिकार हुए हैं। जब तक भाजपा को जरूरत थी, तब तक पशुपति कुमार पारस को अपने साथ रखा और बाद में फेंक दिया।
हालांकि, क्या कुछ निर्णय लिया जाएगा, इस पर श्रवण अग्रवाल ने बहुत खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन गंभीर आरोप जरूर लगा गए हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए में आरएलजेपी को कमजोर करने की लगातार साजिश रची जा रही है। हम लोगों ने लगातार एनडीए को मजबूत किया। लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी की अनदेखी की गई। हम लोगों ने बड़ी कुर्बानी दी। हमारे पांच सीटिंग सांसद थे। एनडीए में सीट नहीं मिली, इसलिए हमारे सांसदों ने चुनाव नहीं लड़ा। आगे श्रवण अग्रवाल ने कहा कि बड़ी कुर्बानी देने के बावजूद हम लोगों की अनदेखी की गई। बता दें कि रामविलास पासवान के निधन के बाद एलजेपी में टूट हो गई थी। पशुपति पारस ने आरएलजेपी नाम से पार्टी बनाई, जबकि चिराग पासवान ने एलजेपीआर के नाम से पार्टी बनाई। एलजेपी में टूट के बाद आरएलजेपी में पांच सांसद थे। पशुपति पारस को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में पारस की पार्टी को एनडीए में एक भी सीट नहीं मिली। चिराग को पांच सीट दी गई। हर सीट पर उनके प्रत्याशी जीत भी गए और चिराग को केंद्र में मंत्री बनाया गया।

अमित शाह भी पारस के काम नहीं आए
खबरों के अनुसार, अमित शाह भी पशुपति पारस के काम नहीं आए। हालांकि, पशुपित पारस ने इस बंगले को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की थी। पटना हाई कोर्ट में रिट तक दायर की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। यहां तक कि बंगला बचाने के लिए अमित शाह के पास भी गए, लेकिन कोई काम नहीं आया। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इंकार दिया। चारों तरफ से निराशा मिलने के बाद आज राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यालय को खाली किया जा रहा है।

खाली कराया गया पार्टी का कार्यालय
अब पारस की पार्टी एनडीए में हाशिए पर चल रही है। इसी बीच पार्टी की ओर से आज यह बड़ा एलान किया गया है, वहीं दूसरी ओर कल, ११ नवंबर को ही पशुपति पारस को पटना स्थित आरएलजेपी का कार्यालय खाली करना पड़ा। बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने कार्यालय को खाली करने के लिए नोटिस दिया था, इसे कल खाली करा दिया गया है। अब देखना होगा कि पशुपति पारस क्या बड़े निर्णय लेने वाले हैं?

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