डाॅ रवीन्द्र कुमार
एक स्टेशन के स्टेशन मास्टर अपनी पत्नी से बात कर रहे थे। अब पति लोग बात तो क्या ही करते हैं। फोन हो या आमने-सामने, उन्होने तो सुनना ही है और “यस डीयर”, “ओ.के. जी” ही करना होता है। उसी तर्ज़ पर ये स्टेशन मास्टर ने बात खत्म करने की गरज से बीवी को फोन पर कह दिया “बाकी बातें घर आकर करेंगे ओ. के.” । अब दूसरों को ये तो नहीं पता कि बीवी डांट रही है या वैसे ही नॉर्मल बात हो रही है। उधर असिस्टेंट स्टेशन मास्टर जो साथ बैठा था और पूछने आया था कि गाड़ी जो आउटर सिग्नल पर खड़ी है उसे (लाइन क्लीयर के प्रतीक स्वरूप) ओ. के. कहना है ? जब उसने स्टेशन मास्टर को फोन पर बीवी को ओ.के. कहते सुना तो उसने ट्रेन को ओ.के. कर दिया।
ए.एस.एम. ने इंजन ड्राइवर को ओ.के. दे दिया। ड्राइवर ने गाड़ी छोड़ दी और गाड़ी सीधे जा टकराई दूसरे डिब्बों से। लास्ट न्यूज़ आने तक सुना है इस ग़लत ओ.के. के चलते रेलवे को तीन करोड़ का नुकसान हो गया। रेलवे सिस्टम में कंट्रोल फोन ओपन लाइन होती है अर्थात पूरे रूट पर सब सुन सकते हैं।
पता चला है कि इस स्टेशन मास्टर का अपनी बीवी से पहले से ही भयंकर झगड़ा चल रहा था और वो अपने खाविंद को घर पर तो डांटती ही थी मगर जब उसका मन करे फोन करके ऑफिस में भी खूब लड़ती डांटती थी। लड़ाई बंद करने के चक्कर में स्टेशन मास्टर ने झल्ला कर बीवी को ओ.के. कहा। उसने कहा बाकी बात घर आकर करता हूँ ओ.के. ! इधर ट्रेन ग़लत ट्रेक पर चली गई और बहुत बड़ा मसला हो गया। मास्टर साब झल्लाते हुए घर गए और बीवी से इस बात को लेकर खूब लड़े। खूब लड़े बोले तो खूब ही लड़े और इस लेवल तक लड़े कि दोनों का तलाक हो गया। अब सोचिए इस एक ओ.के. ने क्या न किया। इस केस में तो ओ.के. जो है नॉट ओ.के. हो गया। ये ओ.के. बड़ा खतरनाक लफ्ज है। एक किताब आई थी ‘आई एम ओ.के. यू आर ओ.के.’ यहाँ ओ.के. एक विस्तृत सेंस में अपने पूरे परिवेश को दर्शाता है। ओ.के. के आप ही देखो कितने सारे अर्थ होते हैं। ओ.के. का अर्थ गुस्से में यही होता है कि जो दिल मे आए करो। मेरी बला से तुम भाड़ में जाओ ओ.के. !
ओ.के. का एक अर्थ है यस तो एक अर्थ है ‘मैं ठीक हूँ’ ओ.के. का एक अर्थ यह भी है कि मेरी सहमति है बोले तो मैं तैयार हूँ, राज़ी हूँ। हाँ अलबत्ता इस केस में तो बेचारे स्टेशन मास्टर के साथ सब कुछ एक ओ.के. ने नॉट ओ.के. कर दिया। बीवी भी छोड़ गई और नौकरी पर भी बन पाई। ये तो कुछ भी ओ.के. न हुआ।
वो गीत है ना ‘कोई हमदम ना रहा कोई सहारा न रहा’….उसी अनुसार ‘कोई ओ.के. ना रहा कोई नॉट ओ.के. ना रहा हम ओ.के. ना रहे कोई हमारा ओ.के. ना रहा…. इस ओ.के. ने स्टेशन मास्टर साब को ऑफिस से सस्पेंड करा दिया, रेलवे को तीन करोड़ का नुकसान करा दिया और तो और तलाक हो गया। यहाँ ओ.के. तो सही मायने में नॉट ओ.के. होके रह गया।