देव दीपावली पर देवालयों, कुंड-तालाबों के साथ ही जगमग हुई वरुणा और गोमती भी
उमेश गुप्ता/वाराणसी
धार्मिक,आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी काशी में शुक्रवार की गोधूलि बेला में भव्य देव दीपावली मनाई गई। सूर्यास्त के साथ ही उत्तरवाहिनी जाह्नवी के तट पर लाखों दीपों ने अद्भुत और अलौकिक छटा बिखेरी। काशी के धनुषाकार 85 घाटों पर मानाें आकाशगंगा के सितारे उतर आए हों। पूरी काशी दीपों की रोशनी में नहाई दिख रही थी। सभी घाटों पर शंखनाद, भव्य महाआरती और घंट-घड़ियालों की ध्वनि से काशी की धरती पर देवताओं का स्वागत हुआ।
देव दीपावली पर काशी के घाटों की श्रृंखला अलग-अलग रंग बिखेरती दिखी। कहीं लेज़र शो का आयोजन हुआ, तो गंगा पार रेत पर ग्रीन एरियल फायर क्रैकर्स शो का देशी और विदेशी सैलानियों ने आनंद लिया। दशाश्वमेध घाट पर अमर जवान ज्योति की अनुकृति बनाकर देश के वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। भारत के अमर वीर योद्धाओं को ‘भगीरथ शौर्य सम्मान’ से सम्मानित भी किया गया। 21 अर्चक व 51 देव कन्याएं ऋधि सिद्धि के रूप में दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की पूजा और आरती की, यह नारी शक्ति का संदेश भी देती रही। देव दीपावली पर मां गंगा की महाआरती में नारी शक्ति की एक अदभुत तस्वीर भी देखने को मिली।
काशी के 85 घाटों पर मां जाह्नवी के समानांतर दीपमालिकाओं की अनंत शृंखला प्रवाहित हो रही थी। वहीं, दो घाट ऐसे भी थे जो विराग के साथ राग का संदेश दे रहे थे। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर चिताएं धधक रही थीं। गोधूली बेला में जैसे ही गंगा के घाट और गंगा पार रेती पर दीप जलने लगे महाश्मशान भी दीपमालिकाओं से सज गए। बाबा मशाननाथ मंदिर में पहला दीप जलाने के बाद श्रद्धालुओं ने घाट के किनारे भी दीप जलाए।
विश्वविख्यात काशी की देव दीपावली का विधिवत उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल आनंदीबेन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट से किया। यहां पहला दीप जलाया गया। इसके बाद बाकी घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन शुरू हुआ। यहां से मेहमानों के साथ वे क्रूज पर सवार होकर घाटों के अप्रतिम छटा निहारने के लिए निकले।
काशी में जैसे-जैसे शाम हुई शहर स्वर्ग सा नजर आ रहा है। दोपहर से ही लोग घाटों पर जम गए देवों की दिवाली देखने। दीयों से घाट जगमगा उठे। उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर 85 घाटों व उस पार गंगा की रेती पर जन सहभागिता से लगभग 25 लाख से अधिक दीप जलाए गए।काशी के गंगा घाटों के अलावा कैथी धाम के गंगा तट,चोलापुर ब्लॉक के गोमती तट, वरुण के शास्त्री घाट व कुंडों, तालाबों और सरोवरों पर लाखों की संख्या में दीप जलाए गए। गंगा द्वार पर लेजर शो के माध्यम से श्री काशी विश्वनाथ धाम पर आधारित काशी का महत्व और कॉरिडोर के निर्माण संबंधित जानकारी लेजर शो के माध्यम से दिखाई गई।
काशी के गंगा घाट देव दीपावली के अवसर पर ऐसे प्रतीत हो रहे हैं जैसे आसमान से गंगा के तट पर देवलोक उतर आया हो। देव दीपावली पर इस बार काशी से ”सभी सनातनी एक जाति एक पंथ” का संदेश पूरी दुनिया को जाएगा।
देव दीपावली पर घाटों पर दीये अलौकिक छटा बिखेर रहे हैं। जिसे देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो गये।दशाश्वमेध घाट पर अमर जवान ज्योति की अनुकृति बनाकर देश के वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। भारत के अमर वीर योद्धाओं को ‘भगीरथ शौर्य सम्मान’ से सम्मानित भी किया गया। 21 अर्चक व 51 देव कन्याएं ऋधि सिद्धि के रूप में दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की पूजा और आरती की, यह नारी शक्ति का संदेश भी देती रही।
देवदीपावली पर शहर से लेकर गंगा पार का वीरान क्षेत्र दीपों की रोशनी से जगमगता रहा। जहां रात आठ बजे के बाद लोग नहीं पहुचते थे वही देव दीपावली के कारण आधी रात तक रेती पर लोगों का आवागमन बना रहा।झालरो की रंगबिरंगी लाइट अलग ही छटा बिखेर रही थी,तो कतारबंद्ध सजे दीपो के साथ ही लाखों दीपोत्सव अपने आप में अनोखा रहा।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर को जिस तरह उद्घाटन के समय सजाया गया था, वैसे ही देव दीपावली पर 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया। गंगा द्वार पर लेजर शो के माध्यम से श्री काशी विश्वनाथ धाम पर आधरित काशी का महत्व और कॉरिडोर के निर्माण संबंधी जानकारी लेजर शो के माध्यम से दिखाई गई।
देव दीपावली पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिएअभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था किया गया था। 85 घाटों को 8 जोन, 11 सेक्टर और 32 सब सेक्टर में बांटा गया था। कई चक्र में सुरक्षा के इंतजाम भी किए गए थे। घाटों, नदियों और सड़क पर सुरक्षा, यातायात व्यवस्था, पार्किंग, इमरजेंसी प्रबंधन, क्यूआरटी, इंट्री एंड एग्जिट को लेकर पूरी तैयारी का खाका पहले से ही तैयार किया गया था।