सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में भले ही बारिश लौट चुकी है। इसके बावजूद जल जनित रोगों का जंजाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते साल की तुलना में इस साल तिगुनी वृद्धि देखी जा रही है। आलम यह है कि इस साल अब तक १५ लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इसी के साथ ही राज्य के ७१ हिस्सों में जल जनित रोगों का प्रसार हुआ है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष राज्य के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश हुई है। इसी के साथ ही दूषित पानी, दूषित भोजन, पेय, संक्रमित जानवरों या इंसानों या उनके पर्यावरण के संपर्क के कारण होने वाली विभिन्न जलजनित रोगों के रोगियों में वृद्धि हुई है। मरीजों में कालरा, गैस्ट्रो, डायरिया, पीलिया के मरीज शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, २०२३ में राज्य में जलजनित बीमारियों के १,२१३ मामले सामने आए थे। हालांकि, इस साल दस माह में ही ३,५६४ मरीज सामने आए हैं। साल २०२४ में डायरिया का बहुत ज्यादा प्रसार हुआ है, इसके १,२५७ मरीज मिले हैं। इसी के साथ पीलिया के ६२०, कालरा के १०२८ और गैस्ट्रो के ६५९ मामले सामने आए। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, डायरिया से ६, कालरा और गैस्ट्रो से क्रमश: ४-४ और पीलिया से एक की मौत हुई है।
स्वास्थ्य विभाग का दावा
स्वास्थ्य विभाग की ओर से दावा किया गया है कि मौसमी बीमारियों को नियंत्रण में लाने के लिए दवाओं और अन्य चीजों का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। घर-घर सर्वे, जन जागरूकता औैर इलाज से स्थिति नियंत्रण में है। नागरिकों को भी चाहिए कि वे अपने घर और उसके आसपास साफ-सफाई रखें। पानी को उबालकर ठंडा कर पीएं। बीमार होते ही नजदीकी सरकारी अस्पताल में इलाज कराएं।
ये किए गए उपाय
जल आपूर्ति पाइपों में लीक का पता लगाकर उसकी मरम्मत की गई है। सार्वजनिक कुओं और नलों के पानी का परीक्षण जिला और राज्य स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है। स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पेयजल का नियमित निरीक्षण किया जा रहा है। जल रक्षकों को ग्राम स्तर पर पुन: प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सभी पेयजल स्रोतों की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने के बावजूद जल जनित बीमारियों में वृद्धि की तस्वीर सामने आ रही है।