मविआ के पक्ष में खड़े हुए भूमिपुत्र
सामना संवाददाता / मुंबई
हजारों भूमिपुत्रों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने पालघर में वाढवण बंदरगाह जबरन बना दिया, जिससे यहां के मछुआरे डबल इंजन सरकार से नाराज हैं। मछुआरों का कहना है कि ‘महा झूठी’ सरकार ने उन्हें धोखा दिया है। इस बंदरगाह के बन जाने से उनकी आजीविका छिन गई है। ‘अखिल महाराष्ट्र मच्छीमार कृति समिति’ ने घोषणा की है कि वह डबल इंजन सरकार से बदला लेगी और इस चुनाव में महाविकास आघाड़ी का समर्थन करेगी। समिति के अध्यक्ष देवेंद्र टंडेल ने कहा है कि महाविकास आघाड़ी ही हमें न्याय देगी। उन्होंने सभी से आघाड़ी के उम्मीदवारों को ही वोट देने की अपील की है। टंडेल ने कहा कि मछुआरों को अपनी संस्कृति, अस्तित्व और भविष्य को बचाने के लिए एकता दिखाने की जरूरत है। बंदरगाह के कड़े विरोध के बावजूद एक गलत धारणा पैâलाई गई थी कि इस बंदरगाह को मछुआरों द्वारा चाहा गया था। कृति समिति ने इसके खिलाफ महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवारों को चुनने की अपील की है।
न झुकेंगे.. न बिकेंगे..
पालघर में मछुआरा समुदाय किसी के सामने नहीं झुकेगा और बिकेगा नहीं। कृति समिति ने बंदरगाह विरोधी रुख अपना रही शिवसेना और कांग्रेस से वोट करने की अपील की है। साल २०१९ के चुनाव में पालघर विधानसभा क्षेत्र से ५४ हजार ७०० मछुआरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह भी माना जा रहा है कि अब यह ताकत महाविकास आघाड़ी के पक्ष में खड़ी होगी।
महाविकास आघाड़ी का समर्थन
– महाराष्ट्र राज्य की २६ प्रतिशत हिस्सेदारी को वापस लेने से वाढवण पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी बर्खास्त हो सकती है।
– यदि नई सार्वजनिक सुनवाई का आदेश दिया जाता है तो जेएनपीए को मिले एनओसी पर स्टे लग सकता है।
– पालघर पुलिस बल जेएनपीए के पक्ष में काम कर रही है। आघाड़ी सरकार के आने पर बंदरगाह विरोधी लड़ाई तेज होगी।
– जेएनपीए द्वारा किए गए सभी सर्वेक्षणों की दोबारा जांच से अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक आरोप लग सकते हैं।