मुख्यपृष्ठस्तंभरौबीलो राजस्थान : सरदी में तो सपूत बणो

रौबीलो राजस्थान : सरदी में तो सपूत बणो

बुलाकी शर्मा
राजस्थान

सरदी री रुत सपूत बणन री रुत हुवै। म्हैं साठो- पाठो हूं अर सांवरियै री फोटू साम्हीं कैवूं कै समझ आयां पछै सूं सरदी री रुत में म्हैं सौटंच सपूत बण्यो रैयो हूं। गरमी री रुत में ई म्हैं कोसीस करूं पण कंवारो हो जणै मां अर ब्यांव पछै घरआळी म्हनैं कपूत बणा’र छोडै। गरमी में पसीनो सगळां रै आवै पण म्हारै डील रो पसीनो इयां गिंधावै‌ जाणै सिवरैज‌ रो ढक्कण खोल्यो हुवै। घूम-फिरनै म्हैं घरै पूगूं ‌जणै सगळा आप-आपरै नाक रा दोनूं ढक्कण अंगूठै-आंगळी सूं बंद’र म्हनै‌ धक्को देयनै सिनानघर में बंद कर देवै। मजबूरी में म्हनैं सिनान करणो पड़ै।
पण सरदी री रुत आपां री। न्हावण नै जोड़ां लाम्बा-लाम्बा हाथ। बरसां बरस पैला अ‍ेक लोक कवि सपूत री खूबियां गिणावता कथग्या है-
नहावै- धोवै दाळदी, कुरळा करै कपूत
बिना नहायां रोटी जीमै, बो ही बेटो सपूत।
बां साफ फरमायो है कै रोज-रोज न्हावा-धोवी करणियो, दांतण-मंजन करणियो कपूत हुवै अर जिको सिनान-संपाड़ा में उळझ्यां बिना, बिना न्हायां रोटी अरोगै, बो ही साचो सपूत हुया करै।
आज रा लोग-लुगायां पाणी री फिजूल खरची करै। बरसां पैला पूछ ही। ‌म्हारी जवानी रै दिनां में सिनान अर गंजी-कच्छो धोयां पछै ई बाल्टी में पाणी बच जावतो। टाबर-टींगर, बूढा-बडैरा, मोट्यार-जवान सगळा दिशा-मैदान सारू हाथ में लोटो लियां घर यूं बारै निकळता अर जठै खुली जगां दीखती, कच्छो अर पजामो नीचो अर धोती कै गमछो ऊपर कर’र अपूठा बैठनै पेट हळको कर लेंवता। पाणी री बचत अर फारिग हुवतै बातां करीजण रो फायदो भळै।
पण अबार रो जमानो जिण ढाळै पाणी बरबाद कर रैयो है जणै लागै वैâ बो बेगो’ई सरदी साथै दूजी सगळी रितुवां में ई सपूत बण्यो रैवण सारू मजबूर हुय जासी, जियां लोक कवि कथग्या है।
सिनान करण में कोई सार कोनी हुया करै। संत कवि फरमायग्या है- मन चंगा, कठौती में गंगा। दाखलै रूप अ‍ेक और संतजी री सीख सुणो-
भीज्या कान हुयो सिनान,
कानां में बिराजै क्रिसण भगवान।
संत- महातमा बराबर समझावणी देंवता आया है पण मानै कुण। म्हैं तो मानूं। दिनूगै बिस्तर छोड़ूं, फेर दांतण-मंजन कै नहावण-धोवण में नीं उळझ’र कान-सिनान कर’र क्रिसण भगवान रो सुमिरण करूं फेर दूजा कामां में लागूं। बता दूं कै म्हैं तो दिवाळी पछै होळी नै ई सिनान करिया करूं।
हे नर-नारियां! सरदी री रुत में तो सिनान सूं मुगत हुय’र, सपूत-सपुत्री बणो। अबै ई जे खैचण नीं करी तो दुनिया में कपूत वैâ कपुत्री रूप भूंडीजता रैवोला।

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