महाराष्ट्र का भविष्य तय करने वाला विधानसभा चुनाव आज हो रहा है। जब तक यह लेख हाथ लगेगा, मतदान शुरू हो चुका होगा। दो दिन पहले ही प्रचार खत्म हो गया। अर्थात तोप ठंडी हो गई, तलवारें म्यान में डाल दी गई हैं, ऐसा कह सकते हैं, लेकिन भले ही तलवारें म्यान में आ गई हों, लेकिन पैसों की थैलियां और खोखे खोलकर मतदाताओं को खरीदने का अभियान अभी थमा नहीं है। महाराष्ट्र की राजनीति और चुनावों का इतना व्यावसायीकरण इससे पहले कभी नहीं हुआ। पहले विधायक, सांसद खरीदे गए, अब निर्वाचन क्षेत्र खरीदने के लिए खोकों की बौछार की जा रही है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर खुद विरार के एक होटल में पैसे बांटने का आरोप लगा है। इसको लेकर भाजपा और स्थानीय बहुजन विकास आघाड़ी कार्यकर्ताओं के बीच बहस भी हुई। ‘बविआ’ के कार्यकर्ताओं ने तावड़े को होटल में ही उलझाए रखा। वहीं छत्रपति संभाजीनगर में भी घाती उम्मीदवार द्वारा पैसे बांटे जाने का वीडियो वायरल हुआ है। उंगली पर स्याही लगाकर मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड जब्त कर के पैसे बांटे जाने का मामला भी वहां घटित होने का आरोप इससे पहले लगा ही था। नासिक में भी भाजपा वालों पर इसी तरीके का आरोप लगा है। सत्ताधारी दलों द्वारा वोटों के लिए मुद्रा बाजार लगाने की यह तस्वीर भयानक और महाराष्ट्र के अब तक के स्वच्छ राजनीतिक इतिहास को कलंकित करती है। ऐसे समय में सवाल ये है कि क्या महाराष्ट्र अपना ईमान और स्वाभिमान कायम रख पाएगा या नहीं। पैसों और खून-खराबे के मार्ग पर महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव चल रहा है। मुंबई में चुनाव प्रचार के दौरान एक पूर्व मंत्री की हत्या कर दी जाती है और मतदान से एक दिन पहले ही पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर जानलेवा हमला करके उन्हें जान से मारने की साजिश रची जाती है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में इतनी खुन्नसी और गिरी हुई घटनाएं कभी नहीं हुई थीं। आज हमारे महाराष्ट्र की तस्वीर क्या है? किसी ने कोरे कागज पर जैसे पान की पिचकारी मारी हो, उस तरह महाराष्ट्र का नक्शा विकृत कर दिया गया है। महाराष्ट्र का सामाजिक मन बंटा हुआ है। दिल्ली के सुल्तान और उनके महाराष्ट्र के लाचार सरदार जाति-जाति में झगड़े लगाकर और धर्म-धर्म के बीच नफरत पैâलाकर मजा ले रहे हैं। गौतम अडानी जैसे मंजे हुए चूहे मुंबई सहित महाराष्ट्र को कुतरने लगे हैं। ऐसे समय में हमें संयुक्त महाराष्ट्र संघर्ष में शाहीर अमरशेख की ललकार याद आती है,
‘बा महाराष्ट्रा
इभ्रत तुझी हीरशेला पडली
काडा नवका बाहेर
शिवरायांची मुंबई
वादळात शिरली!’
महाराष्ट ्रद्रोहियों का बादल महाराष्ट्र पर मंडरा रहा है। नोचकर खानेवाले गिद्ध फड़फड़ा रहे हैं। गुजरात के व्यापार मंडलों द्वारा महाराष्ट्र की सार्वजनिक संपत्ति की ऐसे छीना-छपटी हो रही है जैसे यह उनके पूर्वजों की संपत्ति हो। इन भेड़ियों ने पैसे की ताकत से शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को तोड़ दिया। अगर शिवसेना टूट गई तो मुंबई का ग्रास निगलना आसान हो जाएगा, लेकिन शिवसेना आपके जबड़े में हाथ डालकर आपकी अंतड़ियां बाहर निकाल देगी। मुंबई और महाराष्ट्र को नोचना आपके बाप के लिए भी संभव नहीं है। मोदी-शाह-फडणवीस-मिंधे की चौकड़ी ने सीधे तौर पर महाराष्ट्र के स्वाभिमान से बैर ली है। ये चौकड़ी शिवराय के महाराष्ट्र की दुश्मन है। पिछले तीन वर्षों में शिवसेना का जीवन इतना तनाव, संघर्ष और परीक्षा से भरा रहा कि उसकी जगह कोई अन्य संगठन होता तो खत्म हो जाता। शिवसेना के पीछे न अडानीसेठ, न अंबानी! न सत्ता, न पैसे की ताकत! लेकिन फिर भी हमने विचार की समृद्धि और शिवसेनाप्रमुख द्वारा बताए गए रास्ते से कभी समझौता नहीं किया। हमें समय-समय पर इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी, लेकिन गिरी हुई राजनीति हमने कभी नहीं की। कई बार आमने-सामने मुकाबले हुए, लेकिन किसी को भी जीवन से और राजनीति से खत्म करने की ओछी हरकत न तो शिवसेनाप्रमुख ने की और न ही हमने कभी की, लेकिन शिवसेना को जीने ही न देना अर्थात महाराष्ट्र की स्वाभिमानी रीढ़ ही तोड़ने का बीड़ा उठानेवाले मोदी-शाह-फडणवीस जैसे महाराष्ट्र शत्रुओं ने शिवसेना पर जानलेवा हमला करके खुद की कलाई सहलाई और पक्ष का नाम, चिह्न गवां चुकी हमारी शिवसेना ने महाराष्ट्र में मोदी-शाह को धूल चटा दिया। हार का यह दंश उसी तरह सीने में दबाए ये ‘मुगल’ वृत्ति के लोग शिवसेना के खिलाफ बकवास करते हैं। शिवसेना का मंगलसूत्र तोड़कर और मोदी-शाह का माथे पर त्रिपुंड लगाकर जो लाचार मिंधे खुद को सधवा कह रहे हैं, उन्हें इस चुनाव परिणाम के बाद जमीन में समा जाना होगा। मराठेशाही में ऐसी गद्दारी के औलाद कई हुए। जो-जो अब तक शिवसेना की राह में आड़े आए या शिवसेना की राह से छल करके दूर हो गए, वे सभी बरसाती केंचुओं की तरह नष्ट हो गए। इसका रिकॉर्ड सत्रह खंडों के इतिहास के हर पन्ने में मिलेगा। आज महाराष्ट्र की तस्वीर क्या है? शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार), कांग्रेस, शेतकरी कामगार पक्ष, समाजवादी पार्टी और वाम दल ये सभी महाविकास आघाड़ी के रूप में एकजुट होकर लड़ने और जीतने के लिए मैदान में उतरे हैं। चिढ़े हुए लाखों शिवसैनिक पत्थर मारे हुए छत्ते के मधुमक्खियों की तरह चारों तरफ मंडरा रहे हैं। सभी मराठी भाई, किसान युवा, ईसाई, मुस्लिम भाई महाराष्ट्र धर्म की जीत के लिए तैयार हैं। मराठी एकता तो हमारी प्रेरणा ही है। हमने उस प्रेरणा की रस्सी को यशोमंदिर पर फेंककर विधानसभा विजय के शिखर पर निकल पड़े हैं। महाराष्ट्र के हाथ में मशाल धधक रही है। मजबूत कलाई वाले हाथ में विजय की तुतारी बज रही है। जीत हमारी ही है। संतों और शिवराय के इस महाराष्ट्र का पत्थर भी राष्ट्र के साथ कभी बेईमानी नहीं करेगा, वो पैसों के लिए नहीं बिकेगा, दिल्ली के सामने असहाय होकर नहीं झुकेगा। बा महाराष्ट्रा, विजय तुम्हारी ही है। २८८ निर्वाचन क्षेत्रों में अपना महाराष्ट्र चुनाव लड़ रहा है। महाराष्ट्र विजयी होगा! मतदाता राजा, स्वाभिमान की मशाल जलने दो, विजय की तुतारी बजने दो!