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झारखंड में लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी को जोर का लगा झटका

अनिल मिश्र/रांची

लोकसभा चुनाव के समय से ही झारखंड में दबे हुए जुबान से ही सही मगर रघुवर दास की मांग तेज होने लगी थीl लेकिन भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस मांग की अनसुनी कर दीl जिसका परिणाम यह निकला कि झारखंड में पिछड़ा वर्ग अपने को असहाय समझने लगा l झारखंड के दक्षिणी छोटानागपुर के जिलों में पिछड़ा वर्ग खासकर वैश्य समाज के लोग काफी नाराज और परेशान दिखेl चुनाव से पहले कई भाजपा समर्थकों ने इस्तीफा तक दे दिया थाl वैसे लोग रघुवर दास के समर्थक बताए जाते हैंl झारखंड बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने रघुवर दास को किनारे लगाने के लिए उनके समर्थकाें तक को पूछना बंद कर दियाl यह बात वैश्य समाज के लोगों को पसंद नहीं आयीl जिसका परिणाम यह निकला कि दक्षिणी छोटानागपुर के सिमडेगा, खुंटी, गुमला, लोहरदगा, पलामू, गढ़वा, लातेहार में वैश्य समाज के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी से दूरी बना लिया।

जानकारों का कहना है कि झारखंड में वर्षों पूर्व से आदिवासी समाज का वोट भारतीय जनता पार्टी को बहुत ही कम मिलते आया हैl झारखंड में भारतीय जनता पार्टी ओबीसी वोट से मजबूत हुआ करती थीl लेकिन इस बार झारखंड में भाजपा ने ओबीसी वोट को महत्व नहीं दियाl हालांकि इसके बावजूद अबकी बार भी ओबीसी समुदाय का काफी वोट प्रतिशत भारतीय जनता पार्टी को ही मिला l झारखंड में पिछड़ा वर्ग में रघुवर दास की पकड़ काफी मजबूत बताई जाती हैl झारखंड में पिछड़ा वर्ग का कोई मजबूत नेता नहीं होने के कारण लोकसभा और विधानसभा चुनाव भाजपा को ही नुकसान उठाना पड़ा हैl

झारखंड के कई जिलों में आम लोगों का कहना था कि रघुवर दास के मुख्यमंत्री के समय काफी विकास का कार्य हुआ हैl विधानसभा चुनाव में रघुवर दास का भाजपा को उपयोग करना चाहिए थाl विधानसभा चुनाव में भाजपा के लोगों ने रघुवर दास के विकास कार्यों तक को नहीं उठायाl झारखंड में वैसे भाजपा नेताओं की चली जो आम लोगों से काफी दूर बताए जाते हैंl झारखंड के भारतीय जनता पार्टी के हवा हवाई नेताओं की लोकसभा और विधानसभा चुनाव में काफी चली l इसी का खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ा।विधानसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा जैसे वरिष्ठ नेता तक को भी नहीं लगाया गयाl भाजपा के कई वरिष्ठ और पुराने नेता चुपचाप हाथ पैर हाथ धरे बैठे रह गएl दिल्ली से आए भाजपा के वरिष्ठ नेताओ को झारखंड के नेताओं ने उल्टा सीधा बात बतायाl जिससे उन्हें जमीनी हकीकत का पता नहीं चल पायाl ऊपर से आए भाजपा के वरिष्ठ नेता हवा हवाई की बातें करते रह गएl उनके बयान भी भाजपा को झारखंड में नुकसान पहुंचायाl झारखंड में भाजपा की बुरी हार के बाद फिर एक बार रघुवर दास को झारखंड भेजने की मांग जोर पकड़ने लगी हैl भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं का कहना है कि रघुवर दास ही झारखंड में भाजपा को मजबूती प्रदान कर सकते हैंl झारखंड मुक्ति मोर्चा से अलग होकर पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष आदिवासी नेता एवं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के होने के बाबजूद झारखंड के आदीवासी समाज ने अपने पुरानी पार्टी और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के परिवार यानी हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन को ज्यादा तवज्जो देकर पुनः सत्ता की कुर्सी पर बैठाने का ही फैसला उचित समझा।इसी कारण झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के सभी मनसुवो पर पानी फेर दिया।

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