आखिरकार टीम इंडिया ने `पर्थ’ के ऑप्टस स्टेडियम में खेले गए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में ऐतिहासकि जीत हासिल कर समूचे खेल जगत में अपना परचम लहरा दिया है। १६ साल बाद पर्थ में मिली इस ऐतिहासिक जीत के बाद टीम इंडिया नंबर १ पॉजिशन पर पहुंच गई है। इसी के साथ उसने ५ टेस्ट की सीरीज में १-० की बढ़त ले ली। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने ५३४ रन का लक्ष्य रखा था, जिसे हासिल करने में वो नाकाम रहे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ऑस्ट्रेलिया पर जीत के साथ ही भारत ने सूद समेत अपना बदला भी ले लिया। पर्थ टेस्ट में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को २९५ रन से हराया, जो कि ऑस्ट्रेलिया में उसकी सबसे बड़ी जीत है। दरअसल, भारत ने पर्थ टेस्ट जीतने के लिए ऑस्ट्रेलिया के सामने ५३४ रन का लक्ष्य रखा था, लेकिन जैसा कि उम्मीद थी वही हुआ। ऑस्टेलिया भारत के खड़े किए रनों के पहाड़ को चढ़ने में नाकाम रहा। इसमें भारत की तेज गेंदबाजी की भूमिका निर्णायक रही। कप्तान बुमराह की अगुवाई में भारत के पेस अटैक ने दोनों ही पारियों में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की नाक में दम करके रख दिया, जिसका असर ये हुआ कि पर्थ में भारत को बड़ी जीत तो मिली ही, साथ ही उसका बदला भी पूरा हो गया।
१६ साल बाद रचा इतिहास
अब आप सोच रहे होंगे कि ये बदले वाली बात क्या है? इसके तार पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम पर खेले पिछले मैच से जुड़े हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ऑप्टस स्टेडियम पर पिछला मैच साल २०१८ में खेला गया था, जो कि इस मैदान पर खेला गया पहला टेस्ट था। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को उस टेस्ट मैच में १४६ रनों के बड़े अंतर से हराया था।
अब ऑस्ट्रेलिया के सामने पर्थ टेस्ट में ५३४ रन का लक्ष्य था, जिसका पीछा करते हुए उन्होंने टॉप के अपने ४ विकेट सिर्फ २९ रन पर गवां दिए। नतीजा ये हुआ कि इससे १३६ साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया। इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई टॉप के ४ बल्लेबाज साल १८८८ में मैनचेस्टर में खेले टेस्ट में ३८ रन पर आउट हुए थे।