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६ दिनों में ही २ शावकों की मौत! …चीतों को रास नहीं आ रहा कूनो का जंगल

-२ वर्षों में हुई कुल १५ चीतों की मौत
हिंदुस्थान के पीएम नरेंद्र मोदी की `प्रोजेक्ट चीता’ पर पूरी दुनिया की नजर रही है। सितंबर २०२२ में नामीबिया से ८ चीते भारत लाए गए और मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए। यह एक ऐतिहासिक पल था क्योंकि भारत में लगभग ८ दशकों बाद चीते वापस आए थे। लेकिन नवंबर २०२४ तक चीतों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। यह प्रोजेक्ट इसलिए शुरू किया गया था ताकि भारत में चीतों की आबादी फिर से बढ़ सके। लेकिन लगता है मोदी का यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से फेल साबित हुआ है। क्योंकि अब इन चीतों की मौतों ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि शायद चीतों को कूनो रास नहीं आ रहा है।
मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनरुत्थान योजना के तहत विदेश से चीते लाए गए थे। धीरे-धीरे इन चीतों का कुनबा तो बढ़ा लेकिन अब इस प्रोजेक्ट को ग्रहण लगता नजर आ रहा है। हाल ही में २२ नवंबर को कूनो में मादा चीता निर्वा ने ४ शावकों को जन्म दिया और दो दिन बाद इसकी पुष्टि हो सकी, लेकिन बुधवार को एक बार फिर कूनो से बुरी खबर आई। बताया जा रहा है कि चीता निर्वा के दो शावकों के शव क्षत-विक्षत स्थिति में मिले हैं। बता दें कि दो साल पहले चीता प्रॉजेक्ट के तहत नामीबिया और दक्षिण अप्रâीका से २० चीतों को लाया गया था, जिसमें से अब तक ८ वयस्क और ५ शावकों की मौत हो चुकी है। कथित सूचना के अनुसार दो शावकों की मौत हुई है तो कूनो में मरने वाले चीतों की संख्या १३ से बढ़कर १५ हो गई, जिसमें ८ वयस्क और ७ शावक हैं।

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