गर ख़ुदा का नाम लेगा औलिया हो जाएगा
इस जहाँ में तू भी कुछ
मशहूर सा हो जाएगा
जब कभी तो याद आये
छाँव पीपल की तुझे
गाँव का घर याद करना, आसरा हो जाएगा
वो ख़फ़ा अब हो न मुझसे ये दुआ ही रब से है
इश्क़ में रूठा अगर तो
बे-मज़ा हो जाएगा
इस तरह देखो न मुझको दिल नहीं काबू में है
वर्ना मुझको प्यार अब
बे-इंतिहा हो जाएगा
बात दिल की और कुछ
वाज़ेह कर दूँ क्या ‘कनक’
रह गई दिल में तो ये दिल अनमना हो जाएगा
डॉ कनक लता तिवारी