रामदिनेश यादव / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के एक सप्ताह बाद भी प्रदेश को मुख्यमंत्री नहीं मिला है। चुनाव में बहुमत पाने वाली महायुति के घटक दलों में पिछले एक सप्ताह से मुख्यमंत्री पद को लेकर हाई ड्रामा शुरू है। मुख्यमंत्री पद हाथ से जाने के बाद इस खेल में अब एकनाथ शिंदे ने गुगली डाल दी है। सूत्रों के अनुसार, शिंदे ने कल पहले दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात कर अपनी बातें रखी, शाह के सामने उन्होंने कह दिया है कि महाराष्ट्र में ब्राह्मण सीएम बनने पर मराठा समाज में भारी नाराजगी पैâलेगी। मराठा समाज में आरक्षण की आग अभी शांत नहीं हुई है।
शिंदे चले पैतृक गांव, हुए नॉट रीचेबल
सरकार में अपमान सहने के मूड में नहीं एकनाथ
मुख्यमंत्री पद हाथ से जाने के बाद इस खेल में अब एकनाथ शिंदे नाराज बताए जा रहे हैं। अमित शाह के कान में मंत्र फूंककर शिंदे धीरे से अपने पैतृक गांव जाकर नॉट रिचेबल हो गए हैं, जिससे भाजपा की सांस अटक गई है। शिंदे की इस गुगली से साफ है कि उन्हें सीएम पद नहीं मिला है तो अब वे देवेंद्र फडणवीस को भी सीएम नहीं बनने देना चाहते हैं। फडणवीस ब्राह्मण समाज से हैं। राज्य में जातीय समीकरण में मराठा सरस है।
मराठा समाज पहले से फडणवीस से खफा है। इसीलिए शाह ने कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र के नेता रहे और अब राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े से मुलाकात कर राज्य की जातीय गणित को समझने का प्रयास किया था।
सूत्रों की मानें तो शिंदे ने शाह से कहा कि नई सरकार में सीएम पद नहीं मिला कोई बात नहीं, लेकिन गृहमंत्री पद चाहिए, अन्यथा वे सरकार में अपमान नहीं सहेंगे, सरकार को बाहर से समर्थन देंगे। गृहमंत्री व वित्तमंत्री के पद को लेकर अड़े शिंदे अपने गांव सातारा चले गए हैं। उन्होंने राज्य में कई अहम बैठकों से खुद को दूर कर लिया है। उनके चलते महायुति की बैठक तक रद्द कर दी गई है, जबकि महायुति की सत्ता स्थापित करने की गतिविधियां जारी रहीं। इसी संदर्भ में गुरुवार रात दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के निवास पर महत्वपूर्ण बैठकों का दौर चलता रहा।
सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे ने सीएम, गृहमंत्री और वित्तमंत्री पद नहीं मिलने की स्थिति में भाजपा को चौथा विकल्प दिया है कि उनके बेटे श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए। लेकिन भाजपा ने इसे अस्वीकार कर दिया है। इसका कारण यह है कि श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से वे अजीत पवार जैसे वरिष्ठ नेता के समकक्ष हो जाएंगे, जबकि उनका अनुभव अजीत पवार से काफी कम है। श्रीकांत शिंदे के आक्रामक रवैये के कारण भाजपा सरकार अपने मन मुताबिक निर्णय नहीं ले पाएगी। साथ ही श्रीकांत शिंदे को यह पद दिए जाने से परिवारवाद का आरोप भी लग सकता है, क्योंकि शिंदे गुट के कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करना पड़ेगा। एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बदले गृह, वित्त, नगर विकास और सार्वजनिक निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभागों की मांग की है। लेकिन टॉप २३ विभाग भाजपा उन्हें नहीं देना चाहती है। सीएम तो वे बनने से रहे, गृह मंत्रालय भी नहीं देगी, वित्त पर अजीत पवार जिद कर बैठे हैं। अब बचा सार्वजनिक निर्माण और नगर विकास मंत्रालय। यदि शिंदे ने इसे स्वीकार किया तो उनकी इमेज की छीछालेदर हो जाएगी और यदि एकनाथ शिंदे सरकार से बाहर रहते हैं तो सरकार में अजीत पवार की ताकत बढ़ सकती है। ऐसे में भाजपा का टेंशन बढ़ जाएगा।