सामना संवाददाता / मुंबई
प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ नहीं बिक रहे १४,०४७ घरों में फंसे म्हाडा के तीन हजार करोड़ रुपए वसूलने के लिए म्हाडा अब दर-दर भटक रही है। २०१७ से अब तक बने इन मकानों के लिए खरीददार नहीं आ रहे हैं। ऐसे में इन घरों को बेचने के लिए म्हाडा ने अपने अधिकारियों व कर्मचारियों को विज्ञापन करने के लिए सड़क पर उतारा है। ये कर्मचारी २९ सार्वजनिक स्थानों पर म्हाडा के घरों का प्रचार करेंगे।
गौरतलब है कि म्हाडा आम नागरिकों को सस्ते दामों पर घर दिलाने के लिए कटिबद्ध है। मुंबई में म्हाडा के घरों के लिए खरीददारों की होड़ मची रहती है, वहीं म्हाडा कोकण मंडल द्वारा बने एमएमआर रीजन में हजारों घर सिरदर्द बन गए हैं। इनमें करीब दस हजार घर प्रधानमंत्री आवास योजना के हैं। हालांकि, म्हाडा द्वारा कई स्कीम लाए जाने के बावजूद ये घर नहीं बिक रहे हैं। ‘पहले आओ पहले पाओ’ की स्कीम भी कारगर साबित नहीं हुई। इन घरों को बनाने में म्हाडा के तीन हजार करोड़ से ज्यादा की राशि लगी है। म्हाडा के इन घरों के नहीं बिकने का मुख्य कारण रेलवे और बस स्थानों से दूर होना बताया जा रहा है। अब म्हाडा हर तरह से सुविधा देने को तैयार है।
म्हाडा कोकण मंडल के मुख्य अधिकारी रेवती गायकर ने बताया कि बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण ये स्थिति है। अब हम इन घरों के लिए स्कूल-कॉलेज, खेल के मैदान, सुपर मार्वेâट, स्विमिंग पूल, अस्पताल आदि बना रहे हैं। साथ ही घरों के विज्ञापन के लिए म्हाडा की एक टीम बनाई है, जो सोशल मीडिया के साथ-साथ रेलवे व बस स्थानकों सहित २९ सार्वजनिक स्थानों पर म्हाडा के घरों का विज्ञापन और प्रचार करेगी।
बता दें कि म्हाडा के इन घरों की कीमत १४-१६ लाख रुपए है, जो आम नागरिकों की पहुंच के बाहर है। ऐसे में म्हाडा पहली बार अपने घरों को बेचने के लिए दर-दर भटक रही है।