सामना संवाददाता / मुंबई
बीजेपी नेतृत्ववाली महायुति २७,३३४ करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को मनपा चुनाव में अपने घोषणा-पत्र में मुख्य मुद्दा बनाएगी। इनमें १८,००० करोड़ रुपए का वर्सोवा-दहिसर लिंक रोड (वीडीएलआर) भी शामिल है, जिसे हाल ही में पर्यावरणीय मंजूरी मिली है, लेकिन क्या ये प्रोजेक्ट्स वाकई मुंबई के विकास के लिए हैं या सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा?
चुनाव में देरी पर सवाल
मुंबई में नगर निगम चुनाव २०२२ से लंबित हैं, जबकि पार्षदों का कार्यकाल ९ मार्च २०२२ को समाप्त हो चुका है। अब तक चुनाव न कराए जाने से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या विकास का वादा महज जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनाव में देरी को अनुचित ठहराया है, फिर भी महायुति सरकार इन पर निर्णय लेने में विफल रही है।
विवादित परियोजनाएं और खर्च
घोषित प्रोजेक्ट्स में से वीडीएलआर और दहिसर-मीरा रोड लिंक रोड को हाई-स्पीड कॉरिडोर का हिस्सा बताया गया है, लेकिन क्या इन परियोजनाओं की भारी लागत, जिसमें वीडीएलआर के लिए १८,००० करोड़ रुपए और दहिसर-मीरारोड लिंक रोड के लिए ३,३०४ करोड़ रुपए शामिल हैं, वास्तव में जनता के हित में है? पर्यावरणीय मंजूरी मिलने के बावजूद, दहिसर-मीरारोड लिंक रोड को अभी भी अदालत की स्वीकृति का इंतजार है।
इसके अलावा, वर्सोवा-मढ केबल-स्टे ब्रिज (३,२४६ करोड़ रुपए) और ५.४ किमी एलिवेटेड रोड (१,३०३ करोड़ रुपए) जैसे प्रोजेक्ट्स की उपयोगिता पर भी सवाल उठ रहे हैं। सरकार द्वारा हाल ही में मुफ्त मिलने वाली आापला दवाखाना की दवाइयां बंद कर दी गई हैं। इसके बाद सरकार के हर पैâसले पर लोगों के मन में गंभीर सवाल है।