अनिल मिश्र / बदलापुर
मुरबाड विधानसभा क्षेत्र के बदलापुर शहर में स्थित सरकारी अस्पताल की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। यहां की चिकित्सा सुविधाएं मरीजों की बढ़ती संख्या के मुकाबले नाकाफी साबित हो रही हैं। बदलापुर के विधायक किशन कथोरे, जो पांचवीं बार चुनाव जीतकर कार्यरत हैं, भले ही खुद को विकास पुरुष साबित करने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन उनका यह दावा अस्पताल की जमीनी स्थिति से मेल नहीं खा रहा है।
बदलापुर ग्रामीण अस्पताल राज्य सरकार की देखरेख में चलता है, और यहां हालात ऐसे हैं कि अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी देखी जा रही है। अस्पताल की इमारत में कई समस्याएं हैं, जिनका समाधान अभी तक नहीं हुआ है। अस्पताल में 50 बेड की सुविधा देने की घोषणा तो की गई थी, लेकिन आज भी अस्पताल में 30 बेड की ही व्यवस्था है। वहीं, शवों के विच्छेदन के लिए शवगृह की कोई व्यवस्था नहीं है, और ना ही शवों को रखने के लिए उचित स्थान है।
अस्पताल में न तो लिफ्ट की व्यवस्था है और न ही समतल रास्ते (रेपों मार्ग) की। सबसे बड़ी समस्या यह है कि मरीजों को ऊपरी मंजिल तक ले जाने के लिए सीढ़ियों का ही सहारा है, जो कि न केवल मरीजों के लिए, बल्कि अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए भी मुश्किल बन जाती है। अस्पताल के प्रमुख डॉ. ज्योत्सना सावंत ने बताया कि अस्पताल में एक ओर समस्या यह है कि यहां बाहरी मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में उन्हें बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है।