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बैलेट पेपर पर मतदान से डरी सरकार! …पुलिस ने मारकडवाडी में बैलेट पेपर पर नहीं करने दिया मतदान

रोहित पवार ने सरकार पर बोला हमला जुल्म के खिलाफ लड़ाई नहीं हुई खत्म
सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव के नतीजे २३ नवंबर को घोषित किए गए, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने बहुमत हासिल किया, जबकि विपक्षी महाविकास आघाड़ी को हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा नतीजे घोषित होने के बाद महाविकास आघाड़ी के कुछ नेता चुनाव प्रक्रिया पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। इस बीच सोलापुर जिले के मारकडवाडी गांव के ग्रामीणों ने भी चुनाव प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है।
सोलापुर जिले के मालशिरस विधानसभा क्षेत्र के मारकडवाडी गांव के ग्रामीणों ने ईवीएम पर संदेह जताया था। उन्होंने कल (३ दिसंबर) एक बार फिर मतपत्र पर मतदान करने का भी पैâसला किया। हालांकि पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद ग्रामीणों ने वोटिंग का यह पैâसला वापस ले लिया। लेकिन एक समय ग्रामीणों ने यह रुख अपना लिया था कि चाहे कुछ भी हो, वे मतपत्र पर ही मतदान करेंगे। इसके बाद प्रशासन ने गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था। इसे लेकर एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के नेता रोहित पवार ने सत्ताधारियों की आलोचना की है।
वास्तव में क्या हुआ?
नतीजों के बाद आरोप लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में पूर्व बीजेपी विधायक राम सातपुते को मारकडवाडी गांव से ज्यादा वोट मिले थे। इसलिए ग्रामीणों ने ईवीएम पर संदेह जताया और दोबारा मतदान कराने की मांग की। इसीलिए ग्रामीण फिर से बैलेट पेपर पर वोट डालने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन कल मतदान प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रशासन ने इसका विरोध किया। पुलिस प्रशासन ने यह भी कहा था कि अगर एक भी वोट पड़ा तो मतपेटियां जब्त कर लेंगे।

रोहित पवार ने क्या कहा?
रोहित पवार ने कहा है कि मारकडवाडी के ग्रामीणों ने जो भूमिका निभाई है, वह तो बस शुरुआत है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रोहित पवार ने कहा है कि यह लड़ाई जुल्म से खत्म नहीं हुई है, बल्कि विधायक जानकर के नेतृत्व में अभी शुरू हुई है और आने वाले समय में जनता हर जगह ईवीएम की पोल खोलेगी। विधायक रोहित पवार ने एक छोटे से गांव में ३०० पुलिसकर्मियों की तैनाती पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के लिए मारकडवाडी में एसआरपी दस्तों के साथ २५०-३०० पुलिसकर्मियों को तैनात करना वास्तव में सही था क्या, वहां वास्तव में ३५०-४०० पुलिस जवानों की आवश्यकता थी क्या। क्या सरकार को सच्चाई सामने आने का डर था? रोहित पवार ने यह भी कहा है कि ऐसे कई सवाल उठे हैं और सरकार और आयोग को इसका जवाब देना होगा।

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