सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र की एनडीए सरकार शीतकालीन सत्र में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इस बिल को लेकर इस वक्त देशभर में हंगामा मचा हुआ है। विपक्ष ने एनडीए सरकार के इस बिल का विरोध किया है। लेकिन इसके साथ ही एनडीए के कुछ घटक दलों ने भी इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। इसमें नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली यूनाइटेड जनता दल भी शामिल है। मोदी ने यूनाइटेड जनता दल के दम पर सरकार बनाई है। ऐसे में कहा जा रहा है कि बीजेपी असमंजस में है क्योंकि नीतीश कुमार ने अभी तक कोई भूमिका स्पष्ट नहीं की है।
विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने मोदी सरकार को चुनौती दी है क्योंकि नीतीश कुमार ने अभी तक वक्फ बोर्ड विधेयक पर अपना रुख घोषित नहीं किया है। अंबादास दानवे ने बीजेपी को सलाह दी है कि उन्हें पहले नीतीशबाबू के फतवे पर नजर डालनी चाहिए। माना जा रहा है कि इस बिल पर फिलहाल नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में चर्चा चल रही है। राज्यसभा सांसद संजय झा ने कहा है कि बिल पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने से पहले नीतीश कुमार ने बिहार में वक्फ बोर्ड के कुछ नेताओं से मुलाकात की। नीतीश कुमार ने सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड दोनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है।
बिल में क्या है?
वर्तमान में देश में ३० वक्फ बोर्ड हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बोर्ड के पास देशभर में ८.७० लाख संपत्तियां हैं। करीब ९.४० लाख एकड़ जमीन बोर्ड की है। फिलहाल वक्फ बोर्ड की जमीन पर दावा करने वाला कोई भी व्यक्ति केवल मध्यस्थता के लिए ही जा सकता है। लेकिन संशोधन विधेयक के खिलाफ राजस्व न्यायालय, सत्र न्यायालय, उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।