विवेक अग्रवाल
हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।
क्या वाकई ऐसा हो सकता है कि दाऊद जैसा गिरोह सरगना घोटालों में शामिल हो
हर शख्स जो उसे जानता है, यही कहेगा, ‘नामुमकिन’
…लेकिन हिंदुस्तानी जांच एजेंसियां कुछ और ही कहती हैं। मार्च २००७ में २५० करोड़ रुपए के अनाज निर्यात घोटाले में पुलिस ने रपट दर्ज की। मई में सीबीआई ने इस घोटाले में दाऊद की भूमिका की जांच की। जब ये खबर अखबारों में आई हुई तो खासा हड़कंप मचा। किसी को समझ न आया कि दाऊद का नाम इस घोटाले में कैसे आया भला?
जेट किंग इंटरनेशनल, कोहिनूर फूड्स, केआरबीएल लिमिटेड की भूमिका पर तो घोटाले में संदेह था, लेकिन दाऊद कहां से आ गया। जून २००६ से जून २००७ के बीच हजारों टन अनाज निर्यात तीनों कंपनियों ने संयुक्त अरब अमीरात यूएई, न्यूजीलैंड के करीब छोटे से द्वीपीय देश कुक आईलैंड को किया। भारत सरकार की अनाज के निर्यात पर पाबंदी थी। इसके लिए पुरानी तारीखों के लेटर ऑफ क्रेडिट का इस्तेमाल कंपनियों ने किया। इनसे अनाज मंगाने वाली कंपनियों कुमार ट्रेडिंग कंपनी, अल-खलीज सपोर्ट सर्विस, पैन ग्लोबल ट्रेडिंग की जानकारी भी सीबीआई ने यूएई से मांगी। इनके निदेशकों, कारोबार, मालिकान वगैरह की जानकारी जुटार्इं। ये भी पता किया कि अनाज वहां किस इस्तेमाल में आने वाला था? इसकी कुल कीमत २५० करोड़ रुपए थी। कुल ६० हजार टन वजन था। इस में अमरीकी खुफिया एजेंसियां भी शामिल थीं। डीआरआई ने नरेश जैन के भाई श्याम सुंदर जैन को पूछताछ के लिए तलब भी किया। सूत्रों के मुताबिक नरेश की दुबई में गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही, श्याम भारत से भाग गया। कुछ ऐसी वीडियो, सीडी मिलीं, जिनमें श्याम-नरेश के करीबी राजनेताओं के फुटेज थे। डीआरआई ने इसकी रपट सरकार के पास १६ मार्च २००७ को जमा की। वह रपट सीबीआई को भेजी गई। इसके हिसाब से जांच शुरू हुई। दुबई पुलिस ने अमेरिका-ब्रिटेन तथा दुबई के बीच संदिग्ध धन को व्हाइट करने वाले आरोपियों में कुल २१ के बैंक खातों के परिचालन पर रोक भी लगाई।
भारतीय कंपनियों के मालिक श्याम सुंदर जैन, सतनाम अरोरा, एके मित्तल के खिलाफ सीबीआई ने धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज किए। तो फिर दाऊद की कहानी कहां से आ गई? एक सीबीआई अधिकारी बताते हैं कि संदेह तब पैदा हुआ, जब श्याम सुंदर जैन के भाई नरेश जैन की गिरफ्तारी दुबई में उन ३९ लोगों के साथ फरवरी २००७ में हुई, जिनके खिलाफ अवैध और काले धन को व्हाइट करने के आरोप थे। भारतीय उद्योगपतियों व राजनीतिकों का काला धन इटली, अमेरिका और ब्रिटेन के रास्ते दुबई हवाला के जरिए पहुंचाता था। इसमें कई लोग दाऊद के संपर्क में थे। यही लगा कि कहीं यह तमाम घोटाला दाऊद के इशारे पर तो नहीं हुआ है? वे चाहे जो कह रहे हों, सच तो यही है कि दाऊद के घोटाले में शामिल होने के सबूत आज तक नहीं मिले हैं।
बड़ा नाराज हो गया होटल गरीब नवाज की लंबा पानी चाय सुड़कते हुए कंपनी का कारिंदा:
– अपुन का सेठ पिछाड़ी धो के कढ़ी नहीं बनाता… ऐसा चिंदीचोरी करने का तो हम लोग भी नर्इं सोचता… वो तो सेठ ऐ… सेठ।
(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)