गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नवंबर माह की रिपोर्ट से पता चलता है कि हरिद्वार में गंगा नदी का पानी पीने के लिए उपयुक्त नहीं है, लेकिन नहाने के लिए सुरक्षित है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र सिंह के अनुसार, हरिद्वार के आसपास उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे करीब आठ स्थानों पर हर महीने गंगा के पानी की जांच की जाती है। आंकड़ों से पता चला है कि हरिद्वार में गंगा के पानी की गुणवत्ता `बी’ श्रेणी की है, क्योंकि इसमें घुलनशील अपशिष्ट (फेकल कोलीफॉर्म) और घुलित ऑक्सीजन (बायोकेमिकल ऑक्सीजन) का स्तर मानक स्तर से अधिक है। उत्तराखंड पी.सी.बी. के अनुसार, गंगा में पाया जाने वाला कोलीफॉर्म १२० एम.पी.एन. तक है, जिसका अर्थ है कि पानी नहाने के लिए तो उपयुक्त है, लेकिन सीधे पीने के लिए अनुपयुक्त है। साथ ही, जांच से पता चला है कि पिछले पांच सालों में प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, हरिद्वार (उत्तराखंड) में गंगाजल पीने योग्य नहीं है। बकौल रिपोर्ट, हरिद्वार में गंगाजल में अपशिष्ट की मात्रा अधिक है , लेकिन उसमें स्नान किया जा सकता है। वहीं जांच में पता चला कि पिछले ५ साल में हरिद्वार में गंगा में प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई है।
महाकुंभ में मिलेंगी वर्ल्ड क्लास फेसिलिटीज
प्रयागराज महाकुंभ २०२५ में आने वाले देश-दुनिया के संतों और श्रद्धालुओं के लिए संगम नगरी प्रयागराज में अभूतपूर्व इंतजाम किए जा रहे हैं। जैसे-जैसे महाकुंभ की पवित्र घड़ी नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे मेला अपना आकार लेता जा रहा है। महाकुंभ में मेला क्षेत्र के सेक्टर-२० में टेंट सिटी बनाई जा रही है। अरैल क्षेत्र में २००० से ज्यादा स्विस कॉटेज आधारित टेंट्स वाली टेंट सिटी बनाई जा रही हैं। यहां आने वाले पर्यटक १५ दिसंबर से इन सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। यूपीएसटीडीसी द्वारा प्रयागराज महाकुंभ २०२५ मेला क्षेत्र के सेक्टर-२० में सुपर डीलक्स होटल जैसी सुविधाओं से लैस २००० से अधिक कॉटेज स्थापित किए जा रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि यहां सुपर डीलक्स टेंट विला, महाराजा, स्विस कॉटेज और डॉरमेटरी प्रारूप में कॉटेज उपलब्ध रहेंगे, जिनका प्रतिदिन का किराया `१,५०० से `३५,००० के बीच होगा।