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जो वादा किया, निभाना पड़ेगा… किसानों के मुद्दों पर उपराष्ट्रपति ने की केंद्र की बोलती बंद! … मुंह ताकते रह गए `मामा’

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एक कार्यक्रम में मौजूद थे और वहां पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थे। धनखड़ ने कार्यक्रम के दौरान शिवराज सिंह चौहान से कह दिया कि किसानों से वादा किया तो कितना निभाया गया है, इसके बारे में भी जानकारी देनी चाहिए। किसानों के मुद्दों पर केंद्र सरकार की मानो बोलती ही बंद कर दी और यह सब सुनकर शिवराज सिंह चौहान उनका मुंह ताकते रह गए। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चिंता जताई कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद जैसे प्रमुख संस्थानों के अस्तित्व के बावजूद किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि संकट में फंसे किसानों का विरोध प्रदर्शन करना देश के समग्र कल्याण के लिए अच्छा नहीं है। धनखड़ ने कहा, ‘आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है क्योंकि किसान संकट और पीड़ा में हैं। अगर ऐसे संस्थान (जैसे आईसीएआर और उसके सहयोगी) जीवित होते और योगदान देते तो यह स्थिति नहीं होती। ऐसे संस्थान देश के हर कोने में स्थित हैं, लेकिन किसानों की स्थिति अभी भी वही है।’
बता दें कि उपराष्ट्रपति धनखड़ केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के शताब्दी समारोह में बोल रहे थे। मुंबई स्थित सीआईआरसीओटी भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के तहत आईसीएआर के अग्रणी संस्थानों में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही पांचवें स्थान से ऊपर उठकर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है। हालांकि, विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने के लिए प्रत्येक नागरिक की आय में आठ गुना वृद्धि होनी चाहिए, जिसमें से अधिकांश वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों से आनी चाहिए। जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘कृषि मंत्री जी एक-एक पल आपका भारी है। भारत के संविधान के तहत दूसरे पद पर बैठा व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है कि क्या किसान से वादा किया गया था और वादा किया गया तो क्यों नहीं निभाया गया और वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? पिछले वर्ष भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। किसान घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।’

किसान से वादा किया गया था और वादा किया गया तो क्यों नहीं निभाया गया और वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? पिछले वर्ष भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। किसान घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।’

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