सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई का वीवीआईपी वॉर्ड ‘ए’ वार्ड, जिसमें मंत्रालय, विधान भवन, बॉम्बे हाई कोर्ट और बीएमसी मुख्यालय जैसी प्रमुख संस्थाएं स्थित हैं, यह वॉर्ड प्रशासनिक लापरवाही और उपेक्षा का शिकार बन चुका है। चर्चगेट, नरीमन पॉइंट, मरीन ड्राइव और कोलाबा जैसे क्षेत्रों वाला यह वॉर्ड अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है।
यहां आज भी स्थायी सहायक आयुक्त का अभाव है। २०१९ में किरण दिघावकर के तबादले के बाद से वॉर्ड में स्थायी सहायक आयुक्त की नियुक्ति नहीं हुई। अस्थायी कार्यकारी इंजीनियर के सहारे यह वॉर्ड चलाया जा रहा है। बीएमसी अधिकारियों की कमी का हवाला देती है, लेकिन इतने अहम वॉर्ड की उपेक्षा सवाल खड़े करती है।
अतिक्रमण और गंदगी का साम्राज्य
मंत्रालय और विधान भवन के आसपास अवैध फूड वेंडर्स का जमावड़ा है। यहां तक कि जीवन बीमा मार्ग पार्किंग स्थल में तब्दील हो गया है। बीएमसी मुख्यालय और चर्चगेट क्षेत्र में फेरीवालों का कब्जा है, जो हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। प्रति व्यक्ति लगभग ५० हजार रुपए खर्च करने का मनपा बजट होने के बावजूद इस वॉर्ड में स्वास्थ्य सेवाओं और सड़क सुधार में सबसे कम खर्च किया गया।
फुटपाथों और शौचालय की जर्जर हालत
इस वॉर्ड में फुटपाथों और सड़कों की हालत जर्जर है। स्वास्थ्य और शौचालय सेवाओं की बदतर स्थिति बनी है। १.९३ लाख आबादी वाले इस वॉर्ड में ६३ हजार लोग झोपड़पट्टियों में रहते हैं। क्षेत्र में ४५ सार्वजनिक शौचालय हैं, जिनमें से कई सार्वजनिक शौचालयों में पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इतना ही नहीं सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में ५१ प्रतिशत पद खाली हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है। समुद्र के पानी का प्रदूषण और वायु प्रदूषण दोनों बढ़ता जा रहा है। हरियाली बढ़ाने और वर्षा जल संरक्षण के लिए योजनाओं की कमी है।
पूर्व नगरसेविका सुजाता सानप ने बताया कि नगरसेवक चुनाव न होने के कारण छोटे, लेकिन जरूरी मुद्दे अनदेखे रह गए हैं। इस वॉर्ड के लिए बीएमसी का ध्यान और ठोस उपाय योजना बेहद जरूरी है, ताकि यह क्षेत्र अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप मुंबई का गौरव बन सके। सुजाता ने कहा कि ‘ए’ वॉर्ड की उपेक्षा न केवल प्रशासनिक क्षमता पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि मुंबई के विकास और मूलभूत सुविधाओं की स्थिति पर भी चिंताएं बढ़ाती है।