सुनील ओसवाल / मुंबई
लोकसभा चुनाव में राज्य की कई सीटों पर महायुति की हार के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के दूध उत्पादकों को दो महीने की सब्सिडी का लॉलीपॉप दिया था। सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले दूध पर ७ रुपए प्रति लीटर की सब्सिडी का एलान किया था। हालांकि, उस अनुदान की अवधि दो महीने में, यानी नवंबर के अंत में समाप्त हो गई है। अब दूध उत्पादकों ने नई सरकार से अच्छी कीमत की उम्मीद जताई है।
उल्लेखनीय है कि २०२३ का साल डेयरी किसानों के लिए अच्छा रहा है। दूध की कीमत ३८ रुपए प्रति लीटर हो गई। हालांकि, नए साल में दूध कारोबार ने गोता लगा लिया। इसलिए जनवरी से मार्च तक की अवधि में दूध उत्पादकों को ३ रुपए प्रति लीटर की सब्सिडी दी गई। फिर लोकसभा चुनाव के दौरान दूध के दाम कम होने से किसानों को नुकसान हुआ। लोकसभा चुनाव में हार के बाद राज्य सरकार ने यह व्यवस्था की कि किसानों को कुल कीमत कम से कम २०० रुपए मिलेगी। २८ रुपए प्रति लीटर से घटकर ७ रुपए प्रति लीटर पर आने के बाद सब्सिडी बढ़ाकर ७ रुपए प्रति लीटर कर दी गई। १ अक्टूबर से उन्हें सब्सिडी मिलनी शुरू हो गई। हालांकि, अब यह साफ हो गया है कि यह फैसला सिर्फ दो महीने के लिए है। ५ रुपए सब्सिडी का पिछला फैसला कम से कम तीन महीने के लिए था। दूध उत्पादकों को यह आशंका है कि सात रुपए का फैसला सिर्फ चुनाव के मकसद से लिया गया था। यह देखना दिलचस्प होगा कि नई कैबिनेट बनने के बाद एक दिसंबर से अनुदान बढ़ाया जाएगा या नई सरकार इससे परहेज करेगी। फिलहाल, इस सवाल पर अधिकारी टिप्पणी नहीं कर रहे हैं कि नवंबर के बाद अनुदान बढ़ाया जाएगा या नहीं।