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शर्तों के साथ शिंदे ने ली शपथ! …दिल्ली जाकर शाह से करेंगे मुलाकात पूछेंगे, `क्या हुआ तेरा वादा?

न सीएमओ मिला, न गृह मंत्रालय’
सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार में शिंदे गुट को दरकिनार किए जाने की नाराजगी एकनाथ शिंदे के चेहरे पर साफ नजर आ रहा है। वे उप मुख्यमंत्री पद की शपथ भी नहीं लेना चाहते थे, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के मनाए जाने के बाद शिंदे ने कल शर्त के साथ उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शिंदे ने शर्त रखी कि वे अमित शाह से एक बार अकेले (बंद कमरे) में मिलना चाहते हैं। उनकी इस शर्त को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मान लिया।
सूत्रों की मानें तो शिंदे उस वादे को लेकर अमित शाह से जवाब चाहते हैं, जो उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे को दिया था। वादे के बाद भी शिंदे का सीएम बनना तो दूर, उनके हाथ गृह विभाग भी नहीं आया। यही उनकी नाराजगी का प्रमुख कारण है।

शिंदे से बिना मिले ही
लौट गए अमित शाह!
अब दिल्ली की दौड़ लगाएंगे डीसीएम

एकनाथ शिंदे ने कल उप मुख्यमंत्री पद की शपथ तो ले ली, पर उनकी नाराजगी अब भी कायम है। शिंदे को अब भी आस है कि शायद अमित शाह को अपना वादा याद आ जाए। पर आश्चर्य की बात है कि उनकी शपथ विधि के बाद अमित शाह बंद कमरे में शिंदे से मुलाकात किए बगैर ही पीएम मोदी संग लौट गए।
सूत्रों की मानें तो आज शाम शिंदे दिल्ली रवाना हो सकते हैं और एक बार फिर अमित शाह से मिलने की कोशिश कर सकते हैं। इसके बाद अमित शाह से बंद कमरे में मिलकर शिंदे विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की ओर से किए गए वादों को याद दिलाना चाह रहे हैं। साथ ही यह भी बताना चाह रहे हैं कि शिंदे गुट को इस सरकार में दरकिनार किए जाने से उनकी छवि को झटका लगा है। इतनी अधिक सीटें लाने के बाद भी यदि शिंदे गुट को सरकार में तवज्जो और सत्ता में बेहतर हिस्सेदारी नहीं मिलती है तो उनके विधायकों में नाराजगी बढ़ सकती है और वे टूट भी सकते हैं। इस डैमेज कंट्रोल के लिए उन्हें गृह मंत्रालय सहित महत्वपूर्ण विभाग देना कितना जरूरी है। बता दें महायुति में अब भी नाराजगी और असंतोष के संकेत हैं। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही गृह मंत्रालय को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। शिंदे अब भी गृह विभाग पर अड़े हुए हैं।

निमंत्रण पत्र पर विवाद
शपथ ग्रहण से पहले भाजपा और दादा गुट के निमंत्रण पत्रों को लेकर विवाद हुआ। भाजपा के निमंत्रण पत्र पर केवल फडणवीस का नाम था, जबकि दादा गुट के निमंत्रण पत्र पर अजीत पवार और फडणवीस का नाम था। शिंदे गुट ने इस पर आपत्ति जताई।

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