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कल जो मेरे इश्क में तेरा हाँ होता

कल जो मेरे इश्क में तेरा हाँ होता,
तो ये मेरा दिल न रोया होता
न इतनी तड़प होती इन मंसूब में,
कि कोई मेरा भी था इस दुनिया में..

मैं खुद निखर आता
जब तेरा साथ पाता
सुनहरी जिन्दगी बन जाती
मैं पाकर, बौखलाता
लम्बे सफ़र भी, छोटे सफर
नज़र आते यूँही डगर
पेड़, पौधे, नदियाँ झरने यूँ मुस्कुराते
हाँ जब तुम मेरे होते

कड़वी धूप भी,
सरल -सी होकर मेरे सामने होती
जब तुम बाहों में बाहें डालकर चलती

बेझिझक, बेहिसाब रहता
जब मेरे कंधों पे तेरा हाथ होता
सारी खुशियाँ नज़र आती दूर तक
जहाँ- जहाँ हम जाते,

बदलते मौसमों के रंग
हाँ होते ये भी संग
चलते यूँ बलखाते जब
हँसते यूँ हँसाते जब

 

मनोज कुमार
गोण्डा उत्तर प्रदेश

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