पर्यावरण प्रेमियों में आक्रोश
प्रेम यादव / मीरा-भायंदर
उत्तन के डोंगरी इलाके में मेट्रो कारशेड के निर्माण के लिए १,४०६ पेड़ों की कटाई का पैâसला प्रशासन ने लिया है। इसके अलावा मीरा-भायंदर मनपा (एमबीएमसी) ने मल-निस्सारण केंद्र की स्थापना के लिए १,२०८ पेड़ों को उखाड़ने की अनुमति मांगी है। इतने बड़े पैमाने पर हरित क्षेत्र को खत्म किए जाने से पर्यावरण प्रेमियों में गुस्से की लहर है। उनका कहना है कि अब पेड़ों की कातिल सरकार आ गई है।
एमएमआरडीए ने मेट्रो रूट-९ के लिए डोंगरी गांव में कारशेड निर्माण का निर्णय लिया है। इसके लिए जिला कलेक्टर कार्यालय से जमीन का अग्रिम कब्जा एमएमआरडीए को सौंप दिया गया है। अब इस स्थल पर कारशेड के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें सबसे पहले बाधा बन रहे १,४०६ पेड़ों को उखाड़ने का काम किया जाएगा।
एमएमआरडीए के कार्यकारी अभियंता सचिन कोठवाले ने मीरा-भायंदर मनपा से इन पेड़ों को उखाड़कर पुन: रोपण की अनुमति मांगी है। उद्यान विभाग ने २५ नवंबर २०२४ को सात दिनों की अवधि देकर इस पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। अंतिम दिन तक गिनी-चुनी आपत्तियां दर्ज की गर्इं, जिसके चलते निगम आयुक्त संजय काटकर द्वारा इन पेड़ों को हटाने की अनुमति देने की संभावना है।
प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी
इसको लेकर पर्यावरण प्रेमियों का आरोप है कि मीरा-भायंदर मनपा और एमएमआरडीए की योजनाएं विकास के नाम पर शहर के प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद कर रही है। हजारों पेड़ों को उखाड़ना न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि स्थानीय जैव विविधता और जलवायु पर भी गंभीर प्रभाव डालेगा।
मल-निस्सारण केंद्र के लिए १,२०८ पेड़ों की कटाई
२०१७ में आरक्षण क्रमांक २५९ पर `ज्ञानज्योति सावित्रीबाई फुले उद्यान’ की स्थापना की गई थी। अब इसी स्थान पर मल-निसारण केंद्र बनाने के लिए १,२०८ पेड़ों को हटाने की योजना बनाई गई है। जल आपूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता ने इन पेड़ों को उखाड़कर पुन: रोपण की अनुमति के लिए उद्यान विभाग को पत्र लिखा है। अधिकारियों के मुताबिक, जल्द ही आयुक्त के आदेश के तहत इन पेड़ों को हटाया जाएगा।