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निवेश गुरु : सही गुरु और प्रेरणा चुनने का सवाल!

भरतकुमार सोलंकी
मुंबई

यदि आप व्यवसाय से जुड़े हैं, तो आपको अपने गुरु और प्रेरणा के रूप में किसे चुनना चाहिए, उन लोगों को जिन्होंने देश की बड़ी कंपनियों को स्थापित किया और सफलतापूर्वक चलाया है या फिर उन राजनीतिज्ञों को जिनका कार्यकाल और प्रभाव आमतौर पर केवल पांच वर्षों तक सीमित रहता है? राजनीति और व्यवसाय दोनों समाज का हिस्सा हैं, लेकिन क्या यह जरूरी है कि एक व्यवसायी के लिए राजनीतिज्ञों को अपने जीवन का मार्गदर्शक माना जाए?
यदि आप किसी व्यावसायिक संस्थान में काम करते हैं और आपको ३०,००० रुपए से अधिक मासिक पगार मिलती है, तो इसका अर्थ है कि आप अपने संस्थान को इससे अधिक मुनाफा कमा कर दे रहे हैं। यही कारण है कि संस्थान आपको इस पगार के योग्य मानता है। यह भी व्यापार का ही एक रूप है, भले ही इसमें प्लेटफॉर्म आपका न होकर आपके नियोक्ता का हो। यदि आपके अंदर व्यावसायिक गुण और प्रबंधन कौशल न होते तो शायद कोई भी संस्थान आपको तीन महीनों से अधिक समय तक इस वेतन पर काम न देता। अब सवाल यह उठता है कि आपको अपने जीवन में किसे आदर्श मानना चाहिए? वे व्यावसायिक व्यक्तित्व जिन्होंने अपने उद्यमों के माध्यम से न केवल खुद को, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार दिया या वे राजनीतिज्ञ जिनका कार्यक्षेत्र सीमित और अल्पकालिक होता है? राजनीतिज्ञों का भविष्य चुनावी समीकरणों पर निर्भर होता है और उनका प्रभाव प्राय: पांच वर्षों के भीतर सीमित हो जाता है। दूसरी ओर व्यावसायिक व्यक्तियों का योगदान और प्रभाव दीर्घकालिक होता है, क्योंकि वे नए उद्योग स्थापित कर नवाचार लाते हैं और देश की आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह समझना जरूरी है कि राजनीति एक अस्थायी मंच है, जबकि व्यापार और व्यवसाय दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करते हैं। राजनीति का मुख्य उद्देश्य नीतियां बनाना और समाज को सही दिशा देना है, लेकिन व्यावसायिक क्षेत्र का काम हर व्यक्ति के जीवन में सीधे प्रभाव डालना और उनके जीवन स्तर को सुधारना है। क्या आपको अपने जीवन के निर्णय और प्रेरणा उन राजनीतिज्ञों से लेनी चाहिए, जो आपके जीवन पर सीमित प्रभाव डालते हैं या उन व्यावसायिक गुरुओं से जो आपकी पेशेवर क्षमताओं और व्यक्तिगत विकास को नया आयाम दे सकते हैं? आज के दौर में जब हर व्यक्ति को अपने करियर और आर्थिक स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए तो हमें अपनी प्राथमिकताओं को सही तरीके से परिभाषित करना होगा। राजनीतिज्ञों के गुणगान से कहीं अधिक जरूरी है कि हम उन व्यक्तियों से प्रेरणा लें, जिन्होंने अपने ज्ञान और कौशल के बल पर असंभव को संभव बनाया। क्या यह समय नहीं है कि हम अपने जीवन को राजनीति के बजाय व्यवसाय और प्रबंधन के नजरिए से देखें और अपने भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में काम करें?
आपका शिखर आपसे एक ही सवाल पूछता है- क्या आप अपनी ऊर्जा और समय सही दिशा में लगा रहे हैं?
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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