सामना सवाददाता / मुंबई
देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि शिंदे गुट के नेता एकनाथ शिंदे और दादा गुट के अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। ऐसे में अब सबकी नजरें कैबिनेट विस्तार पर हैं। साथ ही इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि किस जिले का संरक्षक किसे मिलेगा। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के बाद पुणे शहर राज्य के सबसे तेजी से बढ़ते शहर के रूप में पूरे देश में जाना जाता है। आईटी हब, सेवा क्षेत्र, शैक्षणिक और अप्रवासियों का घर बनते जा रहे पुणे जिले के संरक्षक मंत्री पद को लेकर अब चर्चा शुरू हो गई है।
पुणे जिले के पालक मंत्री पद के लिए फिलहाल दोनों पार्टियों के नेताओं की ओर से अजीत पवार और चंद्रकांत पाटील के नाम का दावा किया जा रहा है।
भाजपा कार्यकर्ता और अजीत पवार समूह के कार्यकर्ता इच्छा व्यक्त कर रहे हैं कि उनके नेता को पुणे जिले के संरक्षक मंत्री के रूप में मौका दिया जाना चाहिए। खास बात यह है कि दोनों पार्टियों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता इस तरह की मांग पर जोर दे रहे हैं। जब बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटील से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन में कुछ भी होता है तो समझदारी दिखानी चाहिए। अजीत पवार गुट के जिला अध्यक्ष प्रदीप गर्टकर ने अजीत पवार को पालकमंत्री बनाने की मांग की है। इसलिए पुणे जिले के संरक्षक मंत्री पद को लेकर महागठबंधन में रस्साकशी तेज है।
इस बीच अजीत पवार २००४ से पुणे शहर और पुणे जिले के लिए सक्रिय हैं, उनके पास जिले की राजनीति और प्रशासन का व्यापक अनुभव है। इसके अलावा उनकी प्रशासन पर भी अच्छी पकड़ है, इसलिए प्रदीप गरातकर ने मांग की है कि अजीत पवार को संरक्षक मंत्री बनाया जाए।
दादा रह चुके हैं जिले के पालक मंत्री
ऐसे में देखा जा रहा है कि बीजेपी नेता भी यहां पालक मंत्री पद पर जोर दे रहे हैं क्योंकि, पुणे जिले में बड़ी संख्या में बीजेपी विधायक चुने गए हैं इसलिए यदि जिले की कमान भाजपा के पास रहेगी तो कार्यकर्ताओं को लगता है कि कार्यकर्ताओं को खुश कर काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। खास बात यह है कि अजीत पवार खुद यहां संरक्षक मंत्री पद के लिए जोर लगाएंगे, क्योंकि पहले भी वह यहां संरक्षक मंत्री का पद अपने पास रखने पर जोर दे चुके हैं।