अरुण कुमार गुप्ता
९० के दशक के एक बहुप्रचलित कपड़े धोने के साबुन के विज्ञापन की वह टैग लाइन लोगों के जेहन में शायद आज भी हो, जिसमें कहा जाता था दूध सी सफेदी…वॉशिंग पावडर…। भाजपा ने दूरदृष्टि रखते हुए वॉशिंग मशीन के साथ ढेर सारे वॉशिंग पावडर भी जमा कर लिए। अब उसी वॉशिंग मशीन और वॉशिंग पावडर का इस्तेमाल वह दागी नेताओं को बेदाग करने में कर रही है। हां! तो हम जिसके संबंध में बात कर रहे हैं आप समझ गए होंगे। वही अपने दादा। जिन्हें हमारे वर्तमान सीएम फडणवीस साहब पिछले चुनाव में पानी पी-पीकर ७० हजार करोड़ रुपए का सिंचाई घोटाले का आरोप लगाकर कहते थे दादा जेल जाएंगे और चक्की पिसिंग, चक्की पिसिंग। दादा ने चक्की तो नहीं पीसा उसके उलट उपमुख्यमंत्री जरूर बना दिए गए। यहां तक तो बात ठीक है…पर इससे भी कई कदम आगे अब उन्हें दिल्ली में बेनामी संपत्ति लेन-देन अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा राहत देते हुए उनके और उनके परिवार के खिलाफ बेनामी संपत्ति के स्वामित्व के आरोपों को खारिज कर दिया गया। यह कोई अचंभित करनेवाली बात नहीं है। यह तो होने ही वाला था, क्योंकि दादा ने वॉशिंग मशीनवाली पार्टी का जो दामन थाम लिया है। अब विपक्ष भले ही भाजपा पर जमकर निशाना साधे या यह कहे कि भाजपा की वॉशिंग मशीन में सब साफ हो जाते हैं। कहते रहे, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि आज दादा दूध सी सफेदी जैसा चमके हैं कल और भी दागी धुलने वाले हैं।
फडणवीस का फंडा!
देवेंद्र फडणवीस को फंडा फिट करने में माहिर कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। मुख्यमंत्री बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस कई मुद्दों पर खुलकर बोल रहे हैं। चुनावी जीत से लेकर महायुति में दरार की बात पर भी उन्होंने अपनी राय रखी। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे नाराज चल रहे थे तो उन्होंने कहा कि ये सब अफवाह है। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एकनाथ शिंदे स्वभाव से भावुक हैं, जबकि उनके दूसरे डिप्टी सीएम अजीत पवार अधिक व्यावहारिक व्यक्ति हैं। फडणवीस ने यह भी कहा कि महायुति गठबंधन ने बहुत मेहनत की, लेकिन पिछले ढाई साल ‘रोलर कोस्टर की सवारी की तरह’ रहे। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन में कोई ज्यादा देरी नहीं हुई और न ही शिंदे जी किसी मुद्दे पर नाराज थे। एक गुट था जो चाहता था कि शिंदे समन्वय समिति के अध्यक्ष बनें। कोई नाराजगी नहीं थी। फडणवीस की यह बातें बिल्कुल साफ कर रही है कि वे अपना रास्ता बिल्कुल साफ चाहते हैं। इसी चाहत में वे उनकी बातें अमूल… की याद दिला रही है और फडणवीस का फंडा बिल्कुल क्लियर है।
दिल ऐसा किसी ने मेरा…
वर्ष १९७५ में आई फिल्म अमानुष का वह गीत तो आपको याद ही होगा। दिल ऐसा किसी ने मेरा…। शायद यही हाल घाती यानी एकनाथ शिंदे साहब का हुआ है। यदि यह बात कहें तो सही कहा जा सकता है, क्योंकि शिंदे साहब का हाल बीजेपी ने ऐसा ही किया है, लेकिन अब शिंदे साहब कुछ कर भी नहीं सकते हैं क्योंकि अब तीर कमान से निकल चुका है। इससे पहले, शिंदे ने लंबे समय तक डिप्टी सीएम पद स्वीकारने को लेकर भी सस्पेंस बनाए रखा था। अब पछताने के सिवाय कुछ नहीं बचा है। घाती यानी शिंदे बहुत बड़ा अरमान पालकर शिवसेना से अलग हुए। कुछ समय के लिए सीएम बनकर फूलकर कुप्पा भी हो गए, लेकिन यह बात भूल गए कि वे बीजेपी के घरफोड़ी नीति में फंस गए हैं। अब बीजेपी ने अपना असली चेहरा दिखाया और उन्हें उपमुख्यमंत्री की डोर में उलझा दिया। अब सुना जा रहा है कि शिंदे गृह मंत्रालय की मांग पर अड़े हुए हैं, लेकिन देवेंद्र फडणवीस हैं कि देने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अब यही कहा जा सकता है कि दिल ऐसा किसी…ने नहीं, बीजेपी ने तोड़ा, अमानुष बनाकर छोड़ा।