– महाराष्ट्र में ‘बड़े भाई’ की भूमिका ने जेडीयू को चिंता में डाला
– अधिक सीटों पर जीत के लिए सक्रिय हुए कार्यकर्ता
सामना संवाददाता / पटना
महाराष्ट्र में साम, दाम, दंड और भेद की नीति अपनाकर बीजेपी के बड़े भाई की भूमिका में आने से जेडीयू में चिंता बढ़ गई है। उसे पहली बार लग रहा है कि २०२५ के विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा और जेडीयू के विधायकों की संख्या में बड़ा अंतर आया तो वर्षों से दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर बनी सहमति टूट भी सकती है। यही कारण है कि जेडीयू अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गया है। तैयारी के लिहाज से देखें तो जेडीयू अन्य सभी दलों से आगे है, वहीं जेडीयू की अति सक्रियता के कारण समय पूर्व विधानसभा चुनाव की चर्चाएं भी होने लगी हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले ही एनडीए के घटक दलों ने मुख्यमंत्री निवास में बैठक कर घोषणा की थी कि अगला चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। नीतीश ही अगले मुख्यमंत्री होंगे, यह बताने की जरूरत इसलिए नहीं पड़ी क्योंकि इसके पहले के चुनाव जब नीतीश के नेतृत्व में लड़े गए और जीत हुई तो वही मुख्यमंत्री भी बने।
हाल ही में लोजपा सांसद अरुण भारती ने यह कहकर जदयू को चिंता में डाल दिया कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, जनता तय करेगी। अरुण भारती लोजपा (रा) के अध्यक्ष चिराग पासवान के बहनोई हैं। सांसद अरुण भारती ने यह भी कहा कि विधानसभा का चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोजपा (रा) के अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। राजनीति के जानकार मानते हैं कि भारती का वक्तव्य अनायास नहीं है, उन्होंने शांत तालाब में एक कंकड़ फेंक दिया है। लोजपा सांसद की टिप्पणी पर जदयू की आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन कोई समझदार इसे यह कहकर खारिज भी नहीं कर रहा है कि भारती पहली बार सांसद बने हैं। उन्हें राजनीति की गहरी समझ नहीं है। फिलहाल, एनडीए ने २४३ सदस्यीय विधानसभा में २२५ सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जाहिर है, इसमें अधिक सीट जीतने की आपसी होड़ भी शामिल है।
सहयोगियों को धोखा देती है बीजेपी
बिहार विधानसभा चुनाव में करीब एक साल का वक्त बचा है, लेकिन महाराष्ट्र चुनाव के बाद जो नतीजे आए उसके बाद जिस तरह से सरकार बनी उसको लेकर बिहार में भी सियासत तेज हो गई है। संयोग से महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी दो-दो उपमुख्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में जैसे ही आई उसके बाद बिहार में २०२५ में क्या होगा इसकी भविष्यवाणी भी होने लगी है। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बीजेपी सहयोगियों को धोखा देती है। उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए पार्टी तोड़ी। शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया। अब शिंदे को भी मुख्यमंत्री पद से हटा दिया। अपना मुख्यमंत्री बना लिया। नीतीश कुमार जब हम लोग के साथ आए थे तो यही कहे थे कि बीजेपी वाले मेरी पार्टी को तोड़ देंगे।
जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार दावा कर रहे हैं कि नीतीश न सिर्फ अगले विधानसभा चुनाव का नेतृत्व करेंगे, बल्कि अगली सरकार भी उन्हीं के नेतृत्व में बनेगी। संयोग से बिहार में महाराष्ट्र की तरह ही इस समय एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री हैं। दोनों उपमुख्यमंत्री भाजपा के हैं। अतीत में कभी यह चर्चा भी चली थी कि नीतीश केंद्र की राजनीति में जाएंगे और भाजपा को मुख्यमंत्री का पद दे दिया जाएगा।